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बिहार में खेला होगा, तेजस्वी के बयान और मांझी की हांमी फिर इस बड़े नेता का खुला ऑफर, फिर पलटी मारेगी नई सरकार

बिहार में खेला होगा, तेजस्वी के बयान और मांझी की हांमी फिर इस बड़े नेता का खुला ऑफर, फिर पलटी मारेगी नई सरकार

बिहार में एनडीए से मिलकर नीतीश कुमार  ने नई सरकार बना ली है, लेकिन अभी सियासी हलचल थमी नहीं है. एक तरफ जीतन राम मांझी दो मंत्री पद की मांग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर 12 फरवरी को नीतीश को विश्वास मत हासिल करना है. 

बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी राजद है और उसने चुप्पी साध ली है. हालाकि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी कह चुके हैं कि असली खेल होना बाकी है. सवाल है कि क्या सचमुच बिहार में 12 जनवरी को केला हो सकता है. 

बिहार विधानसभा में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के पास सर्वाधिक 79 विधायक हैं, कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 विधायक हैं. यानी विपक्ष के पास 114 विधायकों का आंकड़ा है तो दूसरी तरफ 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में सत्तारूढ़ भाजपा के 78,जदयू के 45, जीतन राम मांझी के दल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर के चार विधायक हैं. इसके साथ हीं एक निर्दलीय विधायक का नीतीश कुमार को समर्थन प्राप्त है.  सत्ता पक्ष की संख्या 128 हो रही है. अब तक के आंकड़ों के अनुसार सत्तापक्ष को 128 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, तो विपक्ष के पास 114 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पास एक विधायक हैं, जो किसी तरफ नहीं.

 तेजस्वी ने खेला बाकी होने की बात कही, ज्यादा कुछ नहीं. लेकिन, अब जब मांझी ने खुलकर स्वीकार किया कि उन्हें सीएम पद का ऑफर था तो कांग्रेस खुलकर मैदान में आ गई. उसने कहा- "ऑफर अब भी लागू है, आइए तो सही".

हम के विधानसभा में चार विधायक हैं. जीतन राम मांझी ने बताया कि उनके पास महागठबंधन से क्या-क्या ऑफर मिले थे, फिर भी उन्होंने एनडीए का साथ नहीं छोड़ा. निर्दलीय विधायक को तवज्जो मिलने से नाराज मांझी ने कहा कि उन्हें चार में से दो विधायकों के मंत्रीपद मिलना चाहिए. सवाल है कि क्या मांझी मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार करेंगे या कांग्रेस के खुले ऑफर पर विचार कर रहे हैं. 

अगर जीतनराम मांझी  महागठबंधन में शामिल होते हैं तो विधानसभा में उनकी संख्या 114 से 118 पहुंच जाएगी. जबकि जादुई आंकड़ा 122 का है. भाजपा तो टूटने से रही, जदयू निशाने पर है. कांग्रेस ने दुहराया भी है कि नीतीश कुमार की पार्टी के विधायक असहज हैं और टूटने को बेताब हैं . बहरहाल 12 जनवरी का इंतजार ही करना होगा.


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