MUZAFFARPUR: खाकी वर्दी, कंधे पर चमकता बिहार पुलिस का बैच, कमर पर झूलता पिस्टल तो दूसरी तरफ कंधे पर टंगा रायफल, लेकिन विडंबना देखिए सब के सबका इकबाल खत्म! जरा सोंचिए पुलिस जिस गांव में छापेमारी करने गई वहां वह बंधक बन गई। आक्रोशित गांव वालों ने सवाल पर सवाल दागते हुए पुलिस वालों से ही पूछ लिया कि घर में कैसे घुस गए? किसने सूचना दी थी? मतलब सवाल करने वाला ही बवाल के बीच घिर गया। ओह! सुशासन वाली पुलिस को कुछ गांव वालों ने तो यहां तक कह दिया कि इस पुलिस वालों पर रेप का केस कर दो। उसके बाद तो बेचारे की धिग्गी बंध गई। सफाई मांगने गए वर्दीधारियों को सफाई देते देते हलक सूख रहा था। संयोग था कि इसके आगे कुछ नहीं हुआ।
बड़ा सवाल यह है कि क्या पुलिसिया इकबाल बिल्कुल बेहाल हो चुका है। या फिर भ्रष्टाचार के दंश ने पुलिस को इतना लाचार कर दिया है कि लोगों के जेहन से पुलिस का डर ही समाप्त हो गया? तभी तो वर्दी, पिस्टल, रायफल और कानून का साथ होते भी सबकुछ बे-हाथ होता दिख रहा है!
अब जरा मुजफ्फरपुर के बोचहां में घटित घटना को समझ लिजिए। दरअसल हुआ यों कि शराब की सूचना पर छापेमारी करने बोचहां के चकहाजी गांव में पुलिस को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया और पूछने लगे की यहां आने की इजाजत किसने दी है। किसके सूचना पर छापेमारी करने पहुंचे हैं। इतना ही नहीं गलत सूचना पर गए बोचहाँ थाना के पुलिस कर्मियों को बंधक होने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
बताया जा रहा है कि आक्रोशित लोगों ने तीन घंटे से अधिक समय तक दारोगा विवेकानंद सिंह और सहायक थाना प्रभारी माया शंकर सिंह के साथ गए पुलिस कर्मियों को बंधक बनाए रखा। बताया जा रहा है कि आक्रोशित लोगों के भय से दारोगा माया शंकर सिंह जान बचा कर भागे। आखिर इसका जिम्मेवार कौन है? क्या थाना अध्यक्ष से लेकर उपर तक के अधिकारी को इसकी सूचना नहीं थी। आखिर आम जनता को वेवजह परेशान करने की इजाजत किसने दे रखी है? अगर नहीं तो बंधक बनने की विवशता का कारण क्या रहा?
बोले एसएसपी
हालांकि मुजफ्फरपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने न्यूज4NATION को इस बाबत बताया कि इस मामले में जांच के बाद कार्रवाई होगी। बंधक बनाने के संबंध को कोई जानकारी नहीं है।
मुजफ्फरपुर से मनोज की रिपोर्ट