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ऑपरेशन मेघदूत के लिए जा रहे नायब सूबेदार शहीद, परिजनों का रो रोकर बुरा हाल

ऑपरेशन मेघदूत के लिए जा रहे नायब सूबेदार शहीद, परिजनों का रो रोकर बुरा हाल

BOKARO: गुरुवार को लेह के पास ऑपरेशन मेघदूत के लिए जाते समय हादसे में सिर में चोट लगने के कारण नायब सूबेदार प्रवीण कुमार शहीद हो गए. इसकी सूचना जैसे ही बोकारो के सेक्टर चार में रहने वाले उनके माता, पिता और पुत्री को मिली पूरा माहौल गमगीन हो गया. जानकारी के मुताबिक शहीद प्रवीण सियाचिन ग्लेशियर में शामिल होने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे थे. 

प्रवीण कुमार मूल रूप से बिहार के जहानाबाद के रहने वाले थे. उन्होंने बोकारो में रह कर पढ़ाई करने के दौरान 1993 में कम उम्र में ही आर्मी ज्वाइन कर ली थी. उस समय प्रवीण की उम्र 18 वर्ष से भी कम थी. प्रवीण के पिता ने बताया कि  जब इतनी कम उम्र में उसने आर्मी ज्वाइन करनी चाही तो मैंने और उसकी माँ ने उसे आर्मी में जाने से मना किया था. लेकिन प्रवीण ने माता पिता को कहा था कि मैं आर्मी में ही जाना चाहता हूँ. उन्होंने कहा था कि मेरी इच्छा है कि मैं सेना का वर्दी पहने ही देश के लिए शहीद जाऊं.

बोकारो के बोकारो जनरल अस्पताल से सेवानिवृत्त कर्मी बाल्मीकि शर्मा आज अपने शहीद पुत्र के कहे हुए बातों को बयां करते हुए फफक कर रोने लगे. उन्होंने कहा कि जब 1993 में उनके पुत्र प्रवीण ने अपने पिता के आर्मी में जाने से मना करने पर यह कहा था कि मैं जब टेलीविजन में आर्मी के जवानों को वर्दी पहने देखता हूँ, तो मेरी अंदर की आत्मा मुझे इस वर्दी की ओर खींचती है. उन्होंने अपने पिता को कहा था कि मैं इस वर्दी को पहन अगर शहीद हो जाऊंगा तो मैं अपने आप को धन्य मानूंगा.

प्रवीण कुमार की बेटी शालिनी ने कहा कि वह भी बड़ी होकर इंडियन आर्मी ऑफिसर बनना चाहती है। शालिनी ने बताया कि 27 मई को पिताजी सी बात हुई थी. मैंने इस बार बारहवीं की परीक्षा पास की थी. वो चाहते थे कि मैं जयपुर में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला लूँ. प्रवीण अपने पीछे दो पुत्री और एक पुत्र को छोड़ गए हैं. शाहिद की एक पुत्री अपने दादा के साथ बोकारो में रहती थी.जबकि एक पुत्री और पुत्र अपने माता पिता के साथ रहते थे.

बोकारो से मृत्युंजय की रिपोर्ट 

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