DESK : गंगा निर्मल है, स्वच्छ है। इसके अंदर कहीं से कोई भी छल प्रपंच है। इसे माता का दर्जा मिला है। शायद इसीलिए ही मां अपने बच्चों के साथ हो रहे बर्ताव को बर्दाश्त नहीं कर सकी और खुद ही सुबूत दे दी कि देखो, मेरी धारा को हथियार बना कर क्या किया जा रहा है। मां हूं तो मरने के बाद भी अपने बच्चों के शव के साथ हो रहे बर्ताव को बर्दाश्त नहीं करूंगी।
दरअसल मामला यूपी के उन्नाव का है, यहां ये खबरें तो आ रही थी कि गंगा किनारे बडी संख्या में शवों को दफना दिया जा रहा है, हालांकि पूरा प्रशासनिक अमला इसे स्वीकार नहीं कर रहा था लेकिन बीती रात पानी क्या हुई, इस पानी ने सबकी पानी उतार दी।
मिली खबर के अनुसार उन्नाव में गंगा का किनारा, हर तरफ लाशों का अंबार और उनपर अवारा कुत्तों की सूचना मीडिया कर्मियों को प्राप्त हुई थी। मीडियाकर्मियों के वहां जाने के बाद सूचना मिलने के कुछ ही देर बाद प्रशासनिक अफसरो का अमला पहुंच गया और लाशों के ऊपर से कफन हटवाया गया और उन पर बालू डलवा दी गयी। लोगों को भी लाशों के करीब जाने से रोक दिया गया।
इस सच्चाई पर बालू डालने वाले एसडीएम ने सवालों के जवाब में कहा, यहां कोई शव नहीं है। मीडिया झूठी खबरों को दिखा रहा है। जबकि उन्नाव के डीएम रवींद्र कुमार ने बक्सर घाट पर बड़े पैमाने पर दफन लाशों के बारे में कहा था कि कई लाशों के दफन होने की सूचना है, एसडीएम से जांच रिपोर्ट मांगी गयी है। ऐसी व्यवस्था हो रही है ताकि लाश दफन कर के लोग चले नहीं जाये। लाशों के अंतिम संस्कार में रीति-रिवाजों की भी बातें कही गयी।
अब मसला यह भी है कि शवों की लड़ाई फतेहपुर और उन्नाव के अफसरों के बीच फंस गयी है। एक तरफ उन्नाव के डीएम ने जांच की बात कही है वहीं दूसरी तरफ उन्हीं के एसडीएम ने इसे सिरे से नकार दिया है जबकि दूसरी तरफ फतेहपुर की एसडीएम प्रियंका ने भी यह कह कर पल्ला झाड लिया है कि मामला उन्नाव का है।