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प्रकृति के खेल निरालेः यूं तो आपने कई पहाड़ों को देखा होगा, लेकिन क्‍या बोलते हुए पहाड़ को देखा है?

प्रकृति के खेल निरालेः यूं तो आपने कई पहाड़ों को देखा होगा, लेकिन क्‍या बोलते हुए पहाड़ को देखा है?

NAWADA: भारत एक ऐसा राज्य हैं जहां हर तरह की सभ्यता, संस्कृति, रंग-ढंग वाले लोग समन्वय बनाकर जीवनयापन करते नजर आते हैं। यहां हर 100 किलोमीटर पर खान-पान से लेकर पहनने-ओढ़ने तक के तरीके में बदलाव आ जाता है। जितने भिन्न यहां के लोग हैं, उतनी ही अलग यहां की भूमि है। कहीं पहाड़ी, कहीं समतल, तो कहीं मरुभूमि होने की वजह से मुख्य रूप से भिन्नता आती है। 

हालांकि देश में कई स्थानों पर पहाड़ हैं। इनमें से कुछ सालों भर बर्फ से ढके रहते हैं, तो कुछ केवल नाम समान कठोर हैं, मगर उनपर पेड़-पौधे-झाड़ियां उगी रहती हैं। इनसब के बीच बिहार राज्य में एक ऐसा पहाड़ भी है, जो सामने वाले से बात करता है। जी हां, अगर यकीन नहीं हो तो बिहार आइए। हम बात कर रहे हैं नवादा जिले के कौआकोल प्रखंड के तरौन गांव स्थित बोलता पहाड़ की। यह जिला मुख्यालय तकरीबन 41 किलोमीटर दूर है। 

इस इलाके की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। जंगलों के बीच मनोरम वादियों में स्थित इस पहाड़ के नीचे एक स्थान से कुछ बोलने के बाद वही आवाज लौटकर वापस आती है। इसीलिए ग्रामीण इसे बोलता पहाड़ कहते हैं। आसपास के जिलों के लोग अक्सर यहां की इस खूबी को देखने के लिए पहुंचते हैं। तरौन में जंगली इलाके के बीच बड़े-बड़े काले चट्टानों से यह पहाड़ सरीखा बना है। चट्टान एक दूसरे पर इस कदर रखे हुए हैं, मानों हाथ लगाओ तो गिर जाएं। हालांकि, ये चट्टान कभी नहीं गिरते हैं। पहाड़ी पर दुर्लभ जंगली जड़ी-बूटी भी मिलती है। आयुर्वेद के जानकार लोग यहां से जड़ी-बूटी ले जाते हैं।

लेकिन जिला के प्रशासन व जनप्रतिनिधि की इस क्षेत्र पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है।अगर इस क्षेत्र पर ध्यान दिया जाए तो यह क्षेत्र काफी विकसित होगी। पर्यटन स्थल के रूप में लोग यहां आनंद लेने आएंगे। लेकिन शायद इन अधिकारियों की अपने आप से फुर्सत नहीं है। ऐसे क्षेत्र को विकसित करने के लिए वह सिर्फ सरकार के अधीन कामकाज करते हैं।और अपने आराम से एसी की हवा खाते हैं। गांव के ग्रामीण बताते हैं कि जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन जानकारी दी गई है। यहां के बारे में पूरी जानकारी बताया गया है। लेकिन वह आते हैं और फिर देख कर चला जाता है। और आगे कोई निर्णय नहीं लेते हैं। जिसके कारण यहां पर की विकास नहीं हो रही है। विकास होती तो लोगों को रोजगार भी मिलता।

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