NEW DELHI : NCERT के छात्र जल्द ही सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ते हुए नजर आ सकते हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक उच्चस्तरीय समिति ने इस बात की सिफारिश की है कि सामाजिक विज्ञान के पाठयक्रम में इन दोनों महाकाव्य को शामिल किया जाए। इसके साथ ही कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखी जानी चाहिए। ताकि छात्रों को इसके बारे में अच्छे से जानकारी मिल सके। हालांकि एनसीईआरटी ने अभी तक सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं लिया है।
समिति के अध्यक्ष सीआई आईजैक ने समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है। हमारा मानना है कि छात्र किशोरावस्था में अपने आत्मसम्मान, देशभक्ति और अपने राष्ट्र के लिए गौरव का निर्माण करते हैं।' उन्होंने कहा कि हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता चाहते हैं क्योंकि उनमें देशभक्ति की कमी है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक उच्चस्तरीय समिति ने सिफारिश की है कि सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल किया जाना चाहिए तथा कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखी जानी चाहिए। यह जानकारी समिति के अध्यक्ष सीआई आईजैक ने दी।
अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करने की मंशा
आइजैक ने कहा कि 'इसलिए, उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश तथा अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है। कुछ बोर्ड पहले से ही रामायण और महाभारत पढ़ाते हैं, लेकिन इसे और अधिक विस्तृत तरीके से किया जाना चाहिए।'
इससे पहले उन्होंने कहा था कि इसी समिति ने पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम 'इंडिया' के स्थान पर 'भारत' करने, पाठ्यक्रम में प्राचीन इतिहास के बजाय 'क्लासिकल हिस्ट्री' को शामिल करने और कक्षा तीन से कक्षा 12 तक की पाठ्यपुस्तकों में 'हिंदुओं की जीतों' को रेखांकित करने की भी सिफारिश की थी।
संविधान के प्रस्तावना पर कही यह बात
इन कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई में अधिसूचित 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण अधिगम सामग्री समिति (एनएसटीसी) अब समिति की सिफारिशों पर विचार कर सकती है