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बिहार में तीसरे चरण की पांच सीटों पर NDA की अग्निपरीक्षा, लालू की टेंशन बढ़ा रहे उनके ही 'अपने', खेला करेंगे मतदाता

बिहार में तीसरे चरण की पांच सीटों पर NDA की अग्निपरीक्षा, लालू की टेंशन बढ़ा रहे उनके ही 'अपने', खेला करेंगे मतदाता

पटना. बिहार में तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर 7 मई को मतदान है. इन सीटों पर चुनाव प्रचार का शोर 5 की शाम थम जायेगा. लेकिन उसके पहले ही कोसी-सीमांचल की पांच संसदीय सीटों ने सभी सियासी दलों की धड़कने बढ़ा दी हैं. वजह है हर राजनीतिक दल को मिल रही अजीबोगरीब चुनौती जिसमें मतदाता बड़ा खेला कर सकते हैं. तीसरे चरण में झंझारपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल और खगड़िया में चुनाव होना है. मौजूदा समय में पांचों सीटों पर एनडीए का कब्जा है. तीनों सीटों पर जदयू के सांसद थे जबकि एक-एक पर भाजपा और चिराग के सांसद थे. ऐसे में अग्निपरीक्षा की लड़ाई में एनडीए को यहाँ लालू यादव की रणनीति से पार पाने की चुनौती है. 

मधेपुरा, सुपौल, झंझारपुर, अररिया और खगड़िया में जो यादव और मुस्लिम का समीकरण है वह लालू तेजस्वी यादव और महागठबंधन की उम्मीदों को पंख दे रहे हैं. कोसी की सियासत में यादवों का बोलबाला रहा है. ऐसे में इस बार भी लालू यादव की नजर अपने इस परम्परागत वोट बैंक पर है. हालाँकि राजद या महागठबंधन की राह इतनी आसान नहीं है. पिछले चुनावों के आंकड़े यही कहते हैं. 

झंझारपुर : जदयू के रामप्रीत मंडल ने पिछले लोकसभा चुनाव में यहां राजद के गुलाब यादव को 3.22 लाख वोटों से ज्यादा के अंतर से हराया था. इस बार जदयू से रामप्रीत मंडल हैं लेकिन महागठबंधन में यह सीट मुकेश सहनी की वीआईपी को गया है. सुमन कुमार महासेठ को मुकेश ने प्रत्याशी बनाया है. वहीं गुलाब यादव ने लालू यादव की पार्टी से बगावत कर बसपा के टिकट पर मैदान में सियासी चुनौती देनी शुरू कर दी है. गुलाब यादव पहले विधायक रह चुके हैं. उनकी पत्नी एमएलसी हैं और बेटी जिला परिषद की अध्यक्ष हैं. ऐसे में गुलाब के मैदान में आने से महागठबंधन के सुमन कुमार महासेठ की मुश्किलें बढ़ गई हैं. 

मधेपुरा : जदयू के दिनेश चन्द्र यादव ने भी पिछला चुनाव शरद यादव को तीन लाख वोटों से ज्यादा के अंतर से हराया था. इस बार उनका मुकाबला राजद के प्रो. कुमार चंद्रदीप से है. रोम पोप का और मधेपुरा गोप का वाला सियासी सफर पिछले कई दशकों से मधेपुरा में साकार हो रहा है. इस बार भी यहाँ दो यादवों के बीच मुख्य मुकाबला है. ऐसे में यहाँ जदयू को सीट बचाने और लालू यादव को अपने यादव वोटरों पर पकड़ मजबूत करने की चुनौती है. 

अररिया : करीब 44 फीसदी यादव मतदाताओं वाले अररिया में जीत-हार के बीच मुस्लिम मतदाता बेहद अहम होंते हैं. यहाँ करीब 7 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. ऐसे में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को राजद के शाहनवाज आलम से मुकाबला करना है. पिछले चुनाव में भाजपा ने 1.37 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. यहाँ भी लालू यादव को मुस्लिम वोटों पर अपनी पकड़ बनाये रखने की अग्निपरिक्ष से गुजरना है. दूसरी ओर भाजपा को यहां अपनी प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है. 

सुपौल : कोसी के पेट में बसे सुपौल में इस बार 15 प्रत्याशी हैं. यहां जदयू के निवर्तमान सांसद दिलेश्वर कामत को अपनी सीट बचानी है. वहीं राजद के कामेश्वर चौपाल जोरशोर से यहां चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. इन सबके बीच बैद्यनाथ मेहता ने निर्दलीय उतरकर दोनों की चिंता बढ़ा दी है. कई प्रकार की जमीनी चुनौतियों को झेलते सुपौल में सियासी लड़ाई भी जातियों समीकरणों के आसपास ही जारी है. 

खगड़िया : चिराग पासवान के लोजपा (रामविलास) से मैदान में उतरे राजेश वर्मा को एनडीए का गढ़ बचाए रखना है. उन्हें वामपंथी सीपीआई (एम) के संजय कुमार से टक्कर है. पिछले चुनाव में भी लोजपा के महबूब अली केसर ने 2.48 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. इस बार यहां सियासी समीकरण बदला हुआ है. दोनों ओर से नये प्रत्याशी हैं. अब देखना है जनता इस बार किस पर विश्वास करती है.

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