राहुल को मिली राहत से नीतीश पर गिरी आफत, सपना हुआ पीएम पद की उम्मीदवारी, संयोजक पद भी खतरे में

राहुल को मिली राहत से नीतीश पर गिरी आफत, सपना हुआ पीएम पद की उम्मीदवारी, संयोजक पद भी खतरे में

PATNA : राहुल गांधी को मोदी उपनाम विवाद में सर्वोच्च न्यायालय से मिली राहत उनके और उनकी पार्टी के लिए संजीवनी साबित हो रही है. अदालत के इस निर्णय से एक ओर जहां उनकी सांसदी बरकरार रह गयी है तो दूसरी ओर आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के पूर्व विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के संदर्भ में सियासी बढ़त भी मिल गयी है.

क्या अदालती फैसला बदलेगा समीकरण

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को हालिया राजनीतिक परिदृश्य में समझना जरुरी हो जाता है. लोकसभा चुनाव आहट दे चुकी है और देश के दो बड़े गठबंधन यानी एनडीए और इंडिया अपनी- अपनी ताकत को बताने के लिए बैठकों का दौर शुरू कर चुके हैं. शुक्रवार के पहले तक जो राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद की रेस से बाहर चल रहे थे उनकी फिर से वापसी हो चुकी है. साथ ही कांग्रेस अपनी जोरदार बारगेनिंग पॉवर के साथ वापसी कर चुकी है. ऐसे में जाहिर है कि जमीनी स्तर पर कई राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं.

बैठकों से तार जोड़ने की कोशिश

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ जिस तेजी से विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ एक हुआ, उसी गति से एक दूसरे से मिलने और साझा कार्यक्रम तय करने के लिए बैठकों का भी दौर शुरू हुआ. लेकिन विपक्षी गठबंधन का चेहरा कौन होगा इसपर विपक्ष मौन रहा. अब अदालत का फैसला राहुल गांधी के पक्ष में आ गया है तो इस पर भी विराम लग गया है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के दूसरे नेता राहुल गांधी के नाम को स्वीकार करेंगे?

क्या सभी को कबूल होंगे राहुल

अदालत का राहुल गांधी के पक्ष में निर्णय आने के बाद तो विपक्षी गठबंधन के सभी नेताओं ने इसका स्वागत किया, लेकिन इसी कुनबे में कई नेता शामिल थे जिनका नाम बतौर पीएम उम्मीदवार लिया जा रहा था. इसमें एक नाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा था.

टूटा सपना नीतीश का

‘जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार स्वभाव से ही अति- महत्वाकांक्षी रहे हैं और जो तेजी उन्होंने विपक्षी एकता मुहीम में दिखाई उससे राजनीतिक गलियारे में उन्हें इस अभियान के सूत्रधार के रूप में देखा जाने लगा था. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के नेता भी भी कई बार यह दुहरा चुके हैं कि देश का अगला प्रधानमंत्री नीतीश कुमार को होना चाहिए. विपक्षी एकता की पहली बैठक के दौरान जिस प्रकार उनकी दावेदारी मजबूत करने के लिए पोस्टरबाजी की गयी उससे जाहिर हो गया कि उनकी भी इस पद को लेकर रूचि है.

पटना में हुई बैठक नीतीश कुमार की अगुवाई में हुई. खबर यह भी उड़ी कि नीतीश बिहार की गद्दी तेजस्वी प्रसाद यादव को सुपुर्द कर स्वयं दिल्ली का रुख करेंगे, लेकिन नीतीश कुमार के पक्ष में जो नैरेटिव गढ़ी मजा रही थी उसको शुक्रवार को गहरा झटका लगा है.

राहुल गांधी की वापसी के साथ उनकी दावेदारी न के बराबर हो चुकी है. वहीं विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के संयोजक बनने की उम्मीद पर भी संशय के बादल छाने लगे हैं क्योंकि यूपीए की अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी की इसपर दावेदारी प्रबल होगी.

अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार ‘इंडिया’ में कहां एडजस्ट होते हैं और विपक्षी गठबंधन की गाठें जुटी रहती हैं या और उलझती हैं.

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