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नीतीश सरकार को लगा झटका, नियोजित शिक्षकों की आपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर

नीतीश सरकार को लगा झटका, नियोजित शिक्षकों की आपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर

PATNA: बिहार में लाखों नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पटना हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को कायम रखते हुए साफ तौर पर कहा है कि  बच्चों की अपस्थिति के लिए शिक्षक जिम्मेदार नहीं हैं। साथ ही सर्वोच्च न्यालयल ने यह भी कहा है कि जीविका दीदियां गैरसरकारी संगठन की सदस्य मात्र हैं, ऐसे में उनको स्कूलों के निरीक्षण का कोई अधिकार नहीं है। 

दरअसल, मामला वर्ष 2016 का है। जब शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने संयुक्त रूप से आदेश जारी कर स्कूलों की जांच में जीविका दीदियों को लगा दिया था और 75 प्रतिशत से कम छात्र की उपस्थिति पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों के वेतन से 50 प्रतिशत तक कटौती करने का आदेश दे दिया था।

वहीं इसके बाद परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर ब्रजवासी ने पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस बारे में वंशीधर ब्रजवासी ने बताया कि इसकी सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने दो अगस्त, 2018 को आदेश पारित करते हुए सरकार के इस आदेश को निरस्त कर दिया और स्पष्ट किया कि बच्चों की उपस्थिति के लिए शिक्षक जिम्मेदार नहीं हैं और यह भी कहा कि जीविका दीदियां गैरसरकारी संगठन की सदस्य मात्र हैं, जिन्हें स्कूलों के निरीक्षण का कोई अधिकार नहीं है।   

ब्रजवासी ने बताया कि उसके बाद पटना हाईकोर्ट के फैसले को सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा दायर एसएलपी को शुक्रवार 23 फरवरी को खारिज कर दिया। इसके बाद से ही शिक्षा विभाग के छात्रों की कम उपस्थिति के लिए शिक्षकों को दोषी ठहर जाने वाले आदेश पर सवाल खड़े होने लगे। 

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