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यूपी में सभा कर अपने लिए हवा बदलने की कोशिश में नीतीश, आखिर कहां से लड़ना चाहते हैं लोकसभा चुनाव.सियासी आग में खाक कौन होगा...

यूपी में सभा कर अपने लिए हवा बदलने की कोशिश में नीतीश, आखिर कहां से लड़ना चाहते हैं लोकसभा चुनाव.सियासी आग में खाक कौन होगा...


पटना- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी भले ही विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडिया के संयोजक न बन सके हों, लेकिन उनकी पार्टी जनता दल युनाइटेड ने उन्हें 2024 के चुनाव में पीएम फेस के तौर पर पेश करने की रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है. इसके तहत पार्टी के रणनीतिकारों ने नीतीश कुमार को यूपी की उस फूलपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ाने का मन बनाया है, जहां से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू सांसद हुआ करते थे. जेडीयू ने उनके चुनाव लड़ने के लिए फूलपुर सीट पर न सिर्फ कई स्तर पर सर्वे कराया है, बल्कि पार्टी के एक सांसद, एमएलसी और बिहार के मंत्री को यहां सियासी ज़मीन तैयार करने की ज़िम्मेदारी भी दी गई है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हैं. इस मुद्दे पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने नीतीश के फूलपुर से चुनाव लड़ने की अटकलों को खारिज नहीं किया है. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में नीतीश के यूपी से चुनाव लड़ने के सवाल पर खुलकर बात करतेहुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के फूलपुर से 2024 का लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसका फैसला सीएम ने अभी नहीं लिया है. इसके लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सहमति भी ली जाएगी. उन्होंने बताया कि 19 दिसंबर को दिल्ली में इंडी गठबंधन की बैठक होने वाली है, इसमें नीतीश कुमार शामिल होंगे. लोकसभा चुनाव में साझा उम्मीदवार उतारे जाने को लेकर यह बैठक काफी महत्वपूर्ण होगी, इसमें सीट बंटवारे पर बात हो सकती है.

जेडीयू ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव पहले से अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करने का प्लान बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नीतीश कुमार की 24 दिसंबर को रैली होने वाली है. केसी त्यागी ने बताया कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए नीतीश की पहली जनसभा बनारस के रोहनिया में हो रही है. यह एक शुरुआत होगी. इसके बाद झारखंड के साथ-साथ मुख्यमंत्री हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी रैलियां करेंगे.केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में जातिगत गणना और आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के बाद से नीतीश कुमार की देशभर में लोकप्रियता बढ़ी है. दूसरे राज्यों में खासकर पिछड़ा वर्ग के लोग नीतीश को अपने यहां बुला रहे हैं.

बहरहाल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जदयू के प्रत्याशियों का जमानत जब्त होने के बाद नीतीश कुमार फूलपुर सीट से चुनाव लड़कर न सिर्फ खुद को विपक्ष का सबसे मजबूत चेहरा साबित कर सकेंगे, बल्कि वह पीएम मोदी को सीधी टक्कर देने की भी जुगत में रहेंगे. विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक़ इंटरनल सर्वे में यह बात सामने आई है कि नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने पर विपक्ष को दो दर्जन से ज़्यादा सीटों पर सीधा फायदा होगा, जबकि यूपी समेत उत्तर भारत की तमाम सीटों पर इसका असर देखने को मिलेगा.

दरअसल, फूलपुर सीट से चुनाव लड़कर नीतीश कुमार एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश करेंगे. यहां से चुनावी समर में कूदने का दांव नीतीश कुमार और उनकी टीम की सियासी रणनीति का वह हिस्सा है, जिसके ज़रिये वह विपक्ष को एकजुट करने के साथ ही बीजेपी को घेरने का भी काम करेंगे. नीतीश कुमार को यह अच्छे से पता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है. ऐसे में अगर बीजेपी के खिलाफ यूपी में ही मोर्चेबंदी कर दी जाए तो उसे हराने की कोशिश कुछ आसान हो सकती है. कुल मिलाकर ये दांव 2024 की लड़ाई को मोदी बनाम नीतीश बनाने के प्रयासों का होगा, क्योंकि नीतीश के जिस फूलपुर सीट से किस्मत आजमाने की चर्चा हैं, 

सूत्रों के मुताबिक नीतीश को यहां से चुनाव लड़ाने का फैसला अनायास ही नहीं, बल्कि खूब सोच-समझकर लिया गया है. दरअसल प्रयागराज को देश में सियासत के बड़े केंद्र के तौर पर जाना जाता है. पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री और वीपी सिंह यहां से सांसद चुने जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी-चंद्रशेखर और गुलज़ारी लाल नंदा ने यहीं से सियासत की बारीकियां सीखीं.

फूलपुर सीट का जातीय समीकरण भी पूरी तरह नीतीश के मुफीद है. यहां कुर्मी वोटर तीन लाख के करीब हैं. इसके साथ ही यादव और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं. यानी फूलपुर से चुनाव लड़कर राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा सियासी संदेश दिया जा सकता है. इस जातीय गणित के सहारे ही फूलपुर सीट से अब तक नौ कुर्मी सांसद चुने गए हैं. मौजूदा समय में भी यहां से कुर्मी समुदाय की बीजेपी नेता केशरी देवी पटेल ही सांसद हैं.


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