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हार गये नीतीश कुमारः 15 साल से सुशासन की सरकार...वेंटिलेटर के लिए तरसता बिहार, अपना वेंटिलेटर अब निजी अस्पतालों को सौंपने का विचार

हार गये नीतीश कुमारः 15 साल से सुशासन की सरकार...वेंटिलेटर के लिए तरसता बिहार, अपना वेंटिलेटर अब निजी अस्पतालों को सौंपने का विचार

PATNA: बिहार में लगभग 15 सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश कुमार काबिज हैं। दावा किया जाता है कि 2005 से सूबे में सुशासन राज की शुरूआत हुई इसके पहले तो जंगलराज था। सीएम नीतीश हर क्षेत्र में विकास की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। हकीकत यह है कि इन सुशासन राज के इन इन 15 सालों में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने की कोई पहल नहीं की गई। हां... इतना जरूर किया गया कि बड़े-बड़े बिल्डिंग बना दिये गए । उस पर अरबों रू खर्च किये गए। मशीन की खरीददारी पर भी पानी की तरह पैसे बहाये गए। नीतीश सरकार शायद इस फार्मूले पर चल रही थी कि बड़े-बड़े भवन बनने और भारी मशीन की खरीदारी से ही स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से पटरी पर आ जायेगी और मरीज अस्पताल का भवन और मशीन देख कर ही चंगा हो जायेंगे। लेकिन सरकार की सोच पूरी तरह से विफल हो गई। आपदा की इस घड़ी में सुशासन की सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने में पूरी तरह से फेल साबित हो गई। यूं कहें कि नीतीश कुमार हार गये। सीएम नीतीश पहले वेंटिलेटर के लिए हायतौबा मचाया,वेंटिलेटर मिला तो चालू नहीं किया और अब सैंकड़ों वेंटिलेटर को निजी अस्पतालों को अस्थाई तौर पर सुपुर्द करने का निर्णय लिया है। इस तरह से नीतीश सरकार ने आपदा की इस घड़ी में सरेंडर कर दिया है। 


हार गये नीतीश कुमार

2020 में जब कोरोना का संकट आया था तो अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने खूब हाथ-पांव मारे थे। सीएम नीतीश ने वेंटिलेटर मुहैया कराने के लिए पीएम मोदी से गुहार लगाई थी। तब केंद्र सरकार से भी वेंटिलेटर दिये गए. इसके अलावे बिहार सरकार ने भी वेंटिलेटर खरीदे। इस तरह से सूबे में करीब 200 वेंटिलेटर उपलब्ध हो गए। उपलब्धता के बाद उन वेंटिलेटरों को जिलों में भेजा गया ताकि वहां के सदर अस्पताल में स्थापित हो सके। साल भर बीत गए लेकिन वो वेंटिलेटर उसी तरह से अस्पताल के स्टॉक में धूल फांक रहा। इस बार जब कोरोना का दूसरा संकट सामने है तब जाकर नीतीश सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुली। सीएम नीतीश के सुशासन की तब पोल खुली जब पता चला कि सरकार ने वेंटिलेटर तो उपलब्ध करा दिये लेकिन उसे चलाने के लिए टेक्निशियन ही नहीं। लिहाजा अधिकांश जिलों में वेंटिलेटर रखे-रखे खराब हो रहे। सरकार की भारी किरकिरी हुई तो मुख्यमंत्री ने वेंटिलेटर चलाने के लिए निजी क्षेत्र से मदद लेने का निर्देश दिया। सीएम नीतीश के फऱमान के बाद अब स्वास्थ्य महकमा जिलों में भेजे गये वेंटिलेटर को प्राईवेट अस्पतालों को देने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है।

 राज्य स्वास्थ्य समिति ने जारी किया विज्ञापन

राज्य स्वास्थ्य समिति ने आज विज्ञापन जारी कर निजी अस्पतालों को वेंटिलेटर लेने के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि उसमें यह उल्लेख नहीं किया गया है कि हमारे पास टेक्निशियन नहीं इस वजह से निजी अस्पतालों को सौंपने का विचार हुआ,बल्कि यह कहा गया है कि कोरोना संक्रमण की वजह से हमारे चिकित्सा पदाधिकारी कार्यशील हैं। इस वजह से वेंटिलेटर संचालन में परेशानी हो रही।  

वेंटिलेटर के लिए तरसता बिहार,निजी हाथों में देने का किया विचार

 राज्य स्वास्थ्य समिति ने कहा है कि कोरोना संक्रमण में जिला स्तर पर चिकित्सा अधिकारियों, कर्मचारियों के कार्यशील होने की वजह से सिविल सर्जन और डीएम द्वारा अनुरोध किया जा रहा है कि इन वेंटीलेटर का निजी क्षेत्र में कार्यरत अस्पतालों के सहयोग से संचालन किया जाए .यदि कोई अस्पताल जिला स्तर पर उपलब्ध वेंटिलेटर का उपयोग करना चाहता है तो वह आवश्यक दक्ष मानव बल की सूची के साथ सिविल सर्जन को आवेदन दें . आवेदन के आलोक में संबंधित अस्पताल का निरीक्षण करने पर यदि उक्त अस्पताल वेंटिलेटर को संचालित करने हेतु सक्षम पाया जाता है तो जिला स्तर पर पर उपलब्ध अप्रयुक्त वेंटीलेटर को निजी अस्पतालों को अगले 3 माह के लिए आवंटित किया जाएगा. वेंटिलेटर आवंटित होने पर इसका इलाज हेतु उपयोग किए जाने की स्थिति में भर्ती मरीजों से स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित अधिकतम दर से ₹2000 प्रतिदिन कम राशि निजी अस्पतालों द्वारा ली जाए. संबंधित अस्पताल से प्राप्त आवेदन के आधार पर यदि किसी जिले में उपलब्ध वेंटीलेटर से ज्यादा संख्या हेतु आवेदन प्राप्त होते हैं एवं अस्पताल योग्य पाए जाते हैं तो अन्य जिले में अवस्थित वेंटीलेटर भी उपलब्ध कराया जा सकता है. निजी अस्पतालों को उपलब्ध कराई गई वेंटिलेटर निर्धारित अवधि के बाद फंक्शनल अवस्था में ही संबंधित सिविल सर्जन को वापस करना होगा.

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