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महिला आरक्षण विधेयक से नीतीश कुमार का पुराना नाता... संसद की चयन समिति के थे सदस्य, जानिए तब क्यों नहीं मिला महिलाओं को हक

महिला आरक्षण विधेयक से नीतीश कुमार का पुराना नाता... संसद की चयन समिति के थे सदस्य, जानिए तब क्यों नहीं मिला महिलाओं को हक

पटना. देश में महिला आरक्षण विधेयक की चर्चा फिर से जोरों पर है. संसद के नए भवन में केंद्र की मोदी सरकार एक ऐतिहासिक पहल के तहत महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की कोशिश कर सकती है. महिला आरक्षण विधेयक को लेकर अधिकांश राजनीतिक दलों में एकराय दिख रही है. इसलिए इसके पारित होने में ज्यादा बाधा नहीं आने की संभावना नहीं है. लेकिन यह कोई पहला मौका नहीं है जब महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश किया गया हो. सबसे पहले इसे 12 सितम्बर 1996 को संसद के पटल पर रखा गया था लेकिन तब यह पारित नहीं हो सका था. संयोग से उस समय की सरकार ने इसे पारित कराने के लिए एक संसद की चयन समिति का गठन किया था. उसमें देश के कई नेता शामिल थे जिसमें नीतीश कुमार का नाम भी शामिल है जो मौजूदा समय में बिहार के मुख्यमंत्री हैं. 

सीएम नीतीश की पहल पर देश के विपक्षी दलों को इंडिया के बैनर तले एकजुट किया गया है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि अब महिला आरक्षण विधेयक पर इन दलों की क्या राय रहती है. लेकिन 1996 के प्रकरण को याद करें तो तब नीतीश कुमार भी उस समिति के सदस्य थे जिस पर इसे पारित कराने के लिए विशेष सुझाव देने का दायित्व था. हालांकि तब विधेयक के पारित नहीं होने के पीछे एक खास वजह थी. 

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की सरकार में पहली बार इस पर संशोधन विधेयक पेश किया गया. 12 सितंबर, 1996 को उन्होंने संशोधन विधेयक पेश किया, जिसे संसद में खुलकर समर्थन मिला और कई सांसदों ने उसी दिन इस पर अपनी सहमति दे दी. हालांकि, ओबीसी कैटेगरी के सांसदों ने इसमें बदलाव की मांग उठाई. देवेगौड़ा ने भी सांसदों की मांग पर गौर करते हुए उसी दिन सर्वदलीय बैठक की और बिल सीपीआई के पूर्व नेता गीता मुखर्जी के नेतृत्व वाली संसद की चयन समिति को भेज दिया गया. चयन समिति में 21 सदस्य लोकसभा के और 10 राज्यसभा सांसदों के थे. इनमें एनसीपी नेता शरद पवार, जेडीयू के सीएम नीतीश कुमार, टीएमसी की ममता बनर्जी, उमा भारती और स्वर्गीय सुषमा स्वराज भी शामिल थे. 

पैनल ने पाया कि एससी और एसटी कोटा के लिए तो आरक्षण है लेकिन ओबीसी के लिए प्रावधान न होने के कारण बैकवर्ड क्लास की महिलाओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा इसलिए पैनल ने ओबीसी के लिए आरक्षण का सुझाव दिया ताकि ओबीसी महिलाओं को भी रिजर्वेशन का लाभ मिले. इसके बाद 9 दिसंबर, 1996 को बिल दोनों सदनों में पेश किया गया, लेकिन पास नहीं हो सका. साल 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल की सरकार में फिर से यह बिल चर्चाओं में आया लेकिन बिल पर सांसदों में अलग-अलग राय होने के कारण यह एक बार फिर पारित होने से रह गया.

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