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BREAKING : नीतीश के कानून मंत्री को अदालत से मिली है बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया आदेश, कार्तिक सिंह को गिरफ्तार नहीं करेगी पुलिस

BREAKING : नीतीश के कानून मंत्री को अदालत से मिली है बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया आदेश, कार्तिक सिंह को गिरफ्तार नहीं करेगी पुलिस

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कानून मंत्री के खिलाफ वारंट जारी होने और कोर्ट की नजर में फरार होने की खबरों को कार्तिक सिंह ने खंडन किया है. उन्होंने कहा कि जिस अपहरण कांड में उन्हें फरारी बताया जा रहा है वह पूरी तरह बेबुनियाद बातें हैं. इस मामले में कोर्ट ने उन्हें no coercive दे रखा है यानी गिरफ्तारी से छूट यानी दंडात्मक कार्रवाई न की जाए. इसलिए उनके फरार होने की बातें खबरें सिर्फ भ्रामकता से भरी हैं.

दरअसल, वर्ष 2014 के जिस अपहरण कांड में कानून मंत्री कार्तिक सिंह को कोर्ट की नजर में फरारी बताया जा रहा है उसमें उन्हें अदालत ने ही राहत दे रखी है. इस मामले में कार्तिक ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, तृतीय व्यवहार न्यायालय, दानापुर ने इस मामले में सुनवाई की थी. 12 अगस्त 2022 को जारी अदालत में आदेश में मोकामा थाना को कहा गया था कि कार्तिकेय सिंह उर्फ़ मास्टर साहेब को 1 सितम्बर 2022 तक no coercive प्रदान किया जाता है.

कार्तिक सिंह ने इसके पूर्व पटना हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने 16 फरवरी 2017 को कार्तिक सिंह की जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए उन्हें निचली अदालत में जाने कहा था. कार्तिक ने फिर निचली अदालत में याचिका दायर की. अब कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में मोकामा थाना के नाम से जारी आदेश में कार्तिक सिंह को गिरफ्तार करने या उनके खिलाफ किसी प्रकार की जोर जबरदस्ती नहीं करने का निर्देश दिया है. कानून की भाषा में इसे no coercive कहा जाता है. 


पटना के बिल्डर का वर्ष 2014 में अपहरण हुआ था. इस मामले में मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह सहित कार्तिक सिंह को भी आरोपी बनाया गया है. इसी साल पटना क्षेत्र से एमएलसी का चुनाव जीतने वाले कार्तिक सिंह उर्फ़ मास्टर को मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह का नजदीकी माना जाता है. पहली बार एमएलसी का चुनाव जीतने के बाद भी उनके मंत्री बन जाने को राजनीतिक गलियारों में बड़े आश्चर्य के रूप में देखा गया. अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में करने वाले कार्तिक सिंह के कानून मंत्री बनने पर अब उनके साथ विवाद जुड़ा है. हालांकि कार्तिक का कहना है कि उन्हें लेकर भ्रामक खबरें प्लांट की जा रही है और कानून के प्रावधानों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. 

उन्होंने कहा कि जब कोर्ट ने ही उन्हें no coercive दे रखा है तो फिर इस मामले में उनके फरार चलने का सवाल ही नहीं है. 1 सितम्बर तक उन्हें अदालत ने जो छुट दे रखा है वे उसी के अनुरूप कोर्ट में पेश नहीं हुए हैं. आगे की क़ानूनी प्रक्रिया के साथ इस मामले में वे कोर्ट ने आदेश का पालन करेंगे. भाजपा की ओर से उनके खिलाफ की जा रही बयानबाजी को उन्होंने राजनीतिक प्रतिद्वंद्व में भ्रामक बयान करार दिया. भाजपा और विरोधी नेताओं को उन्होंने पहले मामले की पूरी जानकारी लेने और उसके बाद बयानबाजी करने को कहा, न कि जनता को गुमराह किया जाए. 


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