NEW DELHI : देश में किसी भी बड़े मामले की जांच का काम सीबीआई को सौंप दिया जाता है। फिर शुरू होता है जांच के नाम केस को कई महीनों और सालों तक लटकाए रखने का सिलसिला। लेकिन सीबीआई के काम के इस तरीके को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को तलब करते हुए उनके काम के सक्सेस रेट के बारे में जानकारी देने के लिए कहा है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकता है।
सीबीआई को बनना होगा जवाबदेह
एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि सीबीआई की कुछ जवाबदेही होनी चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक को निर्देश दिया है कि कि वह उन मामलों की संख्या को कोर्ट के सामने रखें, जिनमें एजेंसी ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्टों में अभियुक्तों को दोषी ठहराने में सफल रही। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि सीबीआई निदेशक कानूनी कार्यवाही के के संबंध में विभाग को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
सिर्फ केस दर्ज करने और जांच से नहीं चलेगा काम
सुनवाई के दौरान दोनों जजों ने सीबीआई को नसीहत देते हुए कहा कि उनका काम केवल मामला दर्ज करना और जांच करना ही काफी नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि अभियोजन सफलतापूर्वक किया जाए। दो जजों की पीठ ने सीबीआई को कहा है कि अभी उनके पास कितने केस हैं, उसकी भी जानकारी कोर्ट को उपलब्ध कराएं। सीबीआई को यह भी ब्योरा देने के लिए कहा गया है कि अदालतों में कितने मामले लंबित हैं और कितने समय से हैं।
दरअसल, एक मामले में सीबीआई द्वारा 542 दिनों की देरी के बाद अपील दायर किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की और उसने केंद्रीय एजेंसी के कामकाज औप उसके परफॉर्मेन्स का विश्लेषण करने का फैसला किया।