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बिहार में अब अवैध नहीं होगा बालू खनन का काम, सरकार करने जा रही है बड़ी तैयारी

बिहार में अब अवैध नहीं होगा बालू खनन का काम, सरकार करने जा रही है बड़ी तैयारी

PATNA : बिहार में आय का सबसे बड़ा जरिया बालू खनन उद्योग माना जाता है। लेकिन इसमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो कि अवैध खनन का काम कर रहे हैं। अब बिहार की नीतीश सरकार अवैध खनन को रोकने के लिए बड़ा फैसला लेने जा रही है। बताया जा रही है कि बिहार में बालू खनन से अवैध शब्द को ही हटा दिया जाएगा और गंगा और सोन नदी में जहां-जहां बालू का अवैध खनन हो रहा है, उसे चिह्नित कर वैध कर दिया जाएगा। हालांकि इस पर अभी अधिकारिक निर्णय नहीं हुआ है।

पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से मंथन हुआ था। बैठक में खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव हरजोत कौर बम्हारा भी मौजूद थीं। राज्य सरकार अवैध बालू खनन पर प्रभावी रोक लगाने और इसे रोजगार से जोड़ने की कार्ययोजना पर गंभीरता से काम कर रही है। इसी के तहत गंगा और सोन नदी में अवैध खनन को लेकर विमर्श किया गया।

बीच का रास्ता निकालने से सरकार को होगा फायदा, 5000 को मिलेगा रोजगार 

बैठक में बालू का अवैध रोकने को लेकर सरकार ने भी माना इसे पूरी तरह से खत्म कर पाना आसान नहीं है, ऐसे में बीच का रास्ता निकालने की योजना बनायी गयी है। माना जा रहा है कि सोन और गंगा नदी से नाव द्वारा बालू खनन को नियमित करने से हर साल सरकार के खजाने में कम से कम 400 करोड़ रुपए आएंगे। साथ ही लगभग 5000 से अधिक लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

इससे राज्य सरकार के खजाने में हर साल न केवल 400 करोड़ रुपए आएंगे, बल्कि लगभग 5000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा। पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से मंथन हुआ था। बैठक में खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव हरजोत कौर बम्हारा भी मौजूद थीं। राज्य सरकार अवैध बालू खनन पर प्रभावी रोक लगाने और इसे रोजगार से जोड़ने की कार्ययोजना पर गंभीरता से काम कर रही है। इसी के तहत गंगा और सोन नदी में अवैध खनन को लेकर विमर्श किया गया। सरकार गंगा और सोन नदी में अवैध खनन को लेकर बेहद चिंतित है। तमाम प्रयासों के बाद भी इसपर कारगर रोक नहीं लग पा रही। ऐसे में बीच का रास्ता निकालने की योजना बनायी गयी है। माना जा रहा है कि सोन और गंगा नदी से नाव द्वारा बालू खनन को नियमित करने से हर साल सरकार के खजाने में कम से कम 400 करोड़ रुपए आएंगे। यही नहीं हजारों लोगों को प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की भी संभावना है।

बालू माफिया का धंधा होगा मंदा

अगर सरकार बालू खनन के सभी जगहों को वैध घोषित करती है, तो इसका सबसे ज्यादा प्रभाव उन बालू माफियाओं पर पड़ेगा, जो बालू के अवैध धंधे से जुड़े हैं। दरअसल, बालू से भारी भरकम कमाई होती है। अवैध खनन में लगे माफियाओं की कमाई करोड़ों में है। इसमें कई स्तरों पर हिस्सेदारी भी होती है। बगैर किसी बड़ी पूंजी के इसमें होने वाली भारी कमाई के कारण इस कारोबार में बड़े और ताकतवर लोग शामिल हैं। सरकार अब इसपर प्रभावी अंकुश लगाएगी।

सरकार का राजस्व बढ़ेगा

राज्य सरकार को खनन मद में प्राप्त राजस्व का सर्वाधिक बालू से मिलता है। इसमें से भी सबसे बड़ा हिस्सा पटना, सारण और भोजपुर जिले का है। ऐसे में सरकार इन जिलों से मिलने वाले राजस्व को लेकर चिंतित है। उसका मानना है कि यहां से उसे और राजस्व मिल सकता है।


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