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पूर्वजों के पिंडदान के लिए अब गया जाने की जरुरत नहीं, बस एक क्लिक पर पितरों को मिलेगी मोक्ष की प्राप्ति, करना होगा ये काम

पूर्वजों के पिंडदान के लिए अब गया जाने की जरुरत नहीं, बस एक क्लिक पर पितरों को मिलेगी मोक्ष की प्राप्ति, करना होगा ये काम

PATNA: पितरों के मोक्ष के लिए प्रसिद्ध धर्म नगरी गया में हर वर्ष के भाँति इस वर्ष भी पितृपक्ष मेला का आयोजन किया जाएगा। इस मेला की शुरूआत 17 सितंबर से होगी। गया में पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पवित्र फल्गु नदी में पिंडदान करने की परंपरा सैकड़ों वर्षों से चलती आ रही है। हर साल करीब लाखों की संख्या में लोग यहां अपने पितरों के पिंडदान करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन कई लोग हैं जो किसी कारणवश गया में पिंडदान करने नहीं पहुँच पाते हैं । उनकी परेशानी को देखते हुए बिहार सरकार ने बड़ा एक कदम उठाया है। 

दरअसल, बिहार पर्यटन निगम ने ई-पिंडदान की व्यवस्था शुरू की है। यानी अब श्रद्धालु घर बैंठे भी गयाजी में पितरों का पिंडदान कर सकते हैं। इससे विदेश में रह रहे लोगों को भी बड़ी राहत मिलने वाली है। विदेश में रह रहे लोग ई-पिंडदान की बुकिंग करा रहे हैं। बिहार राज्य पर्यटन निगम ने इस साल ई-पिंडदान के लिए 23 हजार रुपये का एक पैकेज बनाया है, जिसमें पिंडदान की सामग्री, पूजन सामग्री, ब्राह्मण का दक्षिणा और अन्य खर्च शामिल हैं।

इसके लिए पर्यटन निगम के वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग की जाएगी। ऑनलाइन पिंडदान कराने के लिए अमेरिका, रूस, फ्रांस व जर्मनी से लोग बुकिंग करा रहे हैं। ऑनलाइन बुकिंग के बाद उनके पितरों का पिंडदान पूरे विधि-विधान से विष्णुपद मंदिर, अक्षय वट और फल्गु नदी के किनारे की जाएगी। पर्यटन निगम द्वारा इस पिंडदान प्रकिया को पुरी तरह डिजिटल रखा जाएगा और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग होगी। फिर इसे पेन ड्राइव में श्रद्धालु के पते पर डाक या कूरियर से भेजा जाएगा, ताकि वह जान सकें कि उन्होंने अपने पूर्वजों का पिंडदान किया गया है।

डिजिटल पिंडदान की पूरी जानकारी बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की साइट पर उपलब्ध है। इस बीच, पितृपक्ष मेले को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। इस साल मेले की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है, जो दो अक्टूबर तक चलेगा। निगम ने ई-पिंडदान का जो पैकेज तैयार किया है, उसमें पिंडदान का शुल्क 21 हजार पांच सौ रुपये हैं। इसके अतिरिक्त 14.29 रुपये सेवा शुल्क है। पांच प्रतिशत जीएसटी जोड़कर पूरा शुल्क 23 हजार निर्धारित है। ई-पिंडदान ऐप पर सबसे पहले विष्णुपद मंदिर में धार्मिक प्रक्रियाएं कराई जाएंगी। इसके बाद अक्षयवट, फल्गु नदी पिंडवेदी पर कर्मकांड कराया जाएगा।

बता दें कि, ऐसी मान्यता है कि गया की फल्गु नदी में स्नान और तर्पण करने से पितरों को देव योनि प्राप्त होती है। हिंदू समाज का दृढ़ विश्वास है कि गया में श्राद्ध पिंडदान करने से उनकी सात पीढ़ियों के पितरों को मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि गया में यज्ञ, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से मनुष्य को स्वर्गलोक एवं ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।

पटना से रितीक की रिपोर्ट  

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