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बदनामी में नंबर-1 पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल ! वर्तमान एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सुधीर रंजन पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप..पूर्व वाले E.E. मदन कुमार भी 2.26 करोड़ कमाने में हैं सस्पेंड

बदनामी में नंबर-1 पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल ! वर्तमान एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सुधीर रंजन पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप..पूर्व वाले E.E. मदन कुमार भी 2.26 करोड़ कमाने में हैं सस्पेंड

PATNA: बिहार के दूसरे जिलों की बात छोड़िए, राजधानी जहां सरकार बैठती है वहां ही भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है. भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता तो रिश्वत के लिए गुंडागर्दी करने पर उतारू हैं. पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल रिश्वतखोरी में भारी बदनाम है. वर्तमान कार्यपालक अभियंता पर तो रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगे ही हैं. इनके पहले के कार्यपालक अभियंता के ठिकानों पर तो निगरानी ब्यूरो ने छापेमारी तक की थी. आय से अधिक संपत्ति केस में निगरानी ने अक्टूबर 2021 में ही पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता मदन कुमार के खिलाफ आय से 2 करोड़ रू अधिक अर्जित करने का केस किया था. अब वर्तमान कार्यपालक अभियंता की भी भारी बदनामी है.   

..मदन प्रसाद के बाद अब सुधीर रंजन पर गंभीर आरोप 

पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल के वर्तमान कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन पर गंभीर आरोप लगे हैं. इनके ठीक पहले के कार्यपालक अभियंता मदन कुमार भी भ्रष्टाचार के गंभीर लपेटे में घिरे थे. उन पर भी रिश्वतखोरी कर अकूत संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज है. पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता मदन कुमार के खिलाफ निगरानी ब्यूरो ने 6 अक्टूबर 2021 को आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था. निगरानी थाने में कार्यपालक अभियंता के खिलाफ दो करोड़ 26 लाख 44000  रू आय से अधिक धन अर्जित करने का केस दर्ज हुआ था. इसके बाद पटना समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी.निगरानी एसपी की रिपोर्ट के बाद भवन निर्माण विभाग ने आरोपी कार्यपालक अभियंता मदन कुमार को सस्पेंड कर दिया था और विभागीय कार्यवाही शुरू की थी. मुख्य जांच आयुक्त सामान्य प्रशासन विभाग को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है.

कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप 

हालांकि निगरानी रेड के बाद भी भवन प्रमंडल पाटलिपुत्र की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. मदन कुमार के बाद सुधीर रंजन कार्यपालक अभियंता बनकर पाटलिपुत्र डिवीजन में आये. लेकिन रिश्वतखोरी की शिकायत में कोई कमी नहीं आई. पाटलिपुत्रा भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. ठेकेदार लालजी ने कार्यपालक अभियंता की पोल खोल कर रख दी है. पीड़ित ठेकेदार ने मुख्य़मंत्री नीतीश कुमार से लेकर निगरानी ब्यूरो और भवन निर्माण विभाग में आवेदन देकर कार्यपालक अभियंता के खिलाफ जांच की गुहार लगाई है. पाटलिपुत्र डिवीजन के कार्यपालक अभियंता पर आरोप है कि ठेकेदार ने रिश्वत में 1 लाख 20 हजार रू नहीं दिए तो इंजीनियर ने प्राक्कलन को सीधे 50 फीसदी घटा दिया. 

मामला पटना के विधान पार्षदों के आवास से जुड़ा है. विधान पार्षदों के नव निर्मित आवास के रख रखाव का जिम्मा पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल को है. इस प्रमंडल के जेई और एई ने 9 अगस्त 2023 को रिपोर्ट दिया. जिसमें एमएलसी फ्लैट संख्या-10 के मेंटेनेन्स के लिए 1.75 लाख रू का प्राक्लन दिया. फ्लैट संख्या-22 के लिए 1.50 लाख रू, फ्लैट संख्या- 42 के लिए 1.23 लाख, फ्लैट संख्या-30 के लिए 1.14 लाख रू का प्राक्कलन दिया. जूनियर इंजीनियर और सहायक अभियंता के साईन करने के बाद कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन ने भी इस प्राक्कलन को 11 सितंबर 2023 को मंजूर कर दिया. अब चूंकि इस प्राक्कलित राशि को अप्रूवल के लिए अधीक्षण अभियंता के पास भेजना था. लिहाजा यहीं से बारगेनिंग शुरू हो गई. बिना पैसा लिए अधीक्षण अभियंता के यहां भेजने से कार्यपालक अभियंता ने साफ मना कर दिया.

 लाख के काम में कार्यपालक अभियंता को चाहिए 1.20 लाख की रिश्वत  

पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल में काम कर रहे ठेकेदार लालजी का आरोप है कि कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन ने यह राशि जो लगभग 6 लाख की थी, कुल राशि का 20 फीसदी यानि 1.20 लाख रू बतौर रिश्वत मांगने लगे. हमने इतनी राशि देने से इनकार कर दिया तो उन्होंने उस प्राक्कलन को अधीक्षण अभियंता के यहां भेजने से मना कर दिया. इसके बाद जेई और एई पर दबाव बनाकर प्राक्कलन को बदल दिया गया. नए प्राक्कलन में राशि को पचास फीसदी कम कर दिया गया. प्रमाण के तौर पर पुराना और नया रिपोर्ट सामने है. 11 सितंबर को कार्यपालक अभियंता ने रिश्वत के रूप में 1.20 लाख रू मांगा. नहीं दिया तो उसी दिन यानि 11 सितंबर को ही  जेई और एई से नया प्राक्कलन रिपोर्ट ले लिया. अगले दिन यानि 12 सितंबर को उन्होंने खुद उस रिपोर्ट पर दस्तखत कर अधीक्षण अभियंता के यहां भेेज दिया. नए रिपोर्ट में प्राक्कलित राशि को काफी कम कर दिया गया है. नए रिपोर्ट में फ्लैट संख्या- 10 में 63 हजार, फ्लैट संख्या- 22 में 64200 रू, फ्लैट 42 में 82850 रू और फ्लैट 30 में 61000 रू का प्राक्कलन बनाकर भेजा गया.

1.20 लाख नहीं दिया तो बदल दिया प्राक्कलन...अब जवाब नहीं जुट रहा

नए और पुराने दोनों प्राक्कलन पर जुनियर इंजीनियर,सहायक अभियंता और कार्यपालक अभियंता के साईन हैं. सबसे पहले हमने जेई धीरेन्द्र से सवाल किया कि काम एक ही तो फिर प्राक्कलन कैसे भिन्न हो गया...क्या रिश्वत के पैसे नहीं दिए तो आनन-फानन में दूसरा रिपोर्ट तैयार किया गया ? जुनियर इंजीनियर ने जवाब दिया कि कार्यपालक अभियंता के आदेश पर रिपोर्ट तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि नए प्राक्कलन में पेंट का इस्टीमेट नहीं है. हमने पूछा कि आपने पुराना और नया रिपोर्ट बनाया है, उसमें तो पेंट करने का उल्लेख है, तो फिर राशि कम कैसे हो गई ? इस पर जुनियर ने कहा कि गलती से नए रिपोर्ट में पुरानी बात ही छप गई होगी. यानि जेई के जवाब में ही सब कुछ क्लियर है. अब आइए सहायक अभियंता गौरब कुमार पर. हमने सहायक अभियंता से पूछा कि क्या ठेकेदार ने 1.20 लाख रिश्वत में नहीं दिए तो आनन-फानन में प्राक्कलन को बदल दिया गया. इस पर उन्होंने कहा कि पैसा मांगने की बात कार्यपालक अभियंता पर लगे हैं तो यह तो वही बता सकते हैं. लेकिन प्राक्कलित राशि कम करने की बात है तो कम एरिया में पेंट कराया जाना है. इसी लिए राशि कम हो गई है.

कार्यपालक अभियंता ने बंद कर लिया था मोबाईल 

21 सितंबर को जब पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन पर लगे आरोपों पर पक्ष लेना चाहा था तो उन्होंने फोन ही बंद कर लिया था. इनके दोनों मोबाईल नंबर- 7488211130 और 7277666064 पर फोन किया. एक में इनकमिंग कॉल की सुविधा नहीं तो दूसरे फोन में कॉल फॉरवडेड बताया जा रहा था. अंंत में हमने अधीक्षण अभियंता रामाज्ञा कुमार से बात की थी। उन्होंने भी कहा था कि पाटलिपुत्र डिवीजन में हो रहे इस खेल के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी है. हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि पूरी जानकारी नहीं है. कार्रवाई के संबंध में पूछने पर स्पष्ट तौर पर नहीं बोल पाये.कहा कि हमलोग सरकार के नियम-कानून से बंधे हुए हैं.

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