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असहमति और अभिव्यक्ति पर गीतकार जावेद अख्तर ने कहा- देश में हिंदुओं के कारण लोकतंत्र बचा हुआ है, अब बढ़ रही है देश में असहिष्णुता

असहमति और अभिव्यक्ति पर गीतकार जावेद अख्तर ने कहा- देश में हिंदुओं के कारण लोकतंत्र बचा हुआ है, अब बढ़ रही है देश में असहिष्णुता

डेस्क- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार सत्ता संभालने के एक माह बाद जून 2014 में कहा था, ‘अगर हम बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी नहीं देंगे तो हमारा लोकतंत्र नहीं चलेगा.लोकतंत्र में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बुनियादी मूल्य है और संविधान में इन्हें कहीं अधिक महत्व दिया गया है. भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा और जनता के लिए निहायत उदार दृष्टि से भरा है. अभिव्यक्ति को असहमति से जोड़ना उतना ही समुचित है जितना सहमति से, जिसकी इजाजत संविधान भी देता है और औपनिवेशिक सत्ता के दिनों में यही सब हासिल करने के लिए वर्षो संघर्ष किया गया.  गीतकार जावेद अख्तर ने दिवाली पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में यदि लोकतंत्र कायम है तो इसकी वजह हिंदू संस्कृति ही है. उन्होंने कहा कि यह सोचना कि हम ही सही हैं और दूसरे लोग गलत हैं, यह हिंदू संस्कृति का हिस्सा नहीं है.

सहमति और असहमति लोकतंत्र के दो खूबसूरत औजार हैं। इनमें से एक तभी बेहतर होता है जब दूसरा सक्रिय होता है और जब देश में प्रजातांत्रिक मूल्यों को मजबूती के साथ लोकहित की जद में अंतिम व्यक्ति भी शामिल होता है तो देश का नागरिक असहमति से सहमति की ओर स्वयं गमन कर लेता है. गीतकार जावेद अख्तर ने यह भीकहा कि अब असहिष्णुता बढ़ रही है, लेकिन देश में लोकतंत्र भी इसी वजह से कायम है क्योंकि हिंदू संस्कृति सहिष्णुता वाली है. जावेद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे की ओर से आयोजित कार्यक्रम दीपोत्सव में हिस्सा ले रहे थे. जावेद अख्तर ने कहा कि'असहिष्णुता आज बढ़ रही है. पहले कुछ लोग होते थे, जो असहिष्णु थे, हिंदू वैसे नहीं थे. हिंदुओं की सबसे बड़ी खासियत यही रही है कि उनकी सोच विशाल रही. यदि यह खासियत खत्म हो गई तो वे भी दूसरे लोगों की तरह हो जाएंगे. ऐसा नहीं होना चाहिए. जावेद ने कहा कि  हमने तो आपसे ही जीना सीखा है, लेकिन क्या हिंदू ही उन मूल्यों को छोड़ देंगे? उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि आज देश में लोकतंत्र कायम है और इसे बनाए रखने में हिंदू संस्कृति ने मदद की है. 

फिलहाल तो आप भारत से निकलें तो भूमध्यसागर तक कोई दूसरा देश ऐसा नहीं है, जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था हो. यहां लोकतंत्र इसलिए है क्योंकि जो जैसा चाहे सोच सकता है। जो मूर्ति पूजा करता है, वह भी हिंदू है. जो नहीं करता है, वह भी हिंदू है. यदि कोई एक ही देवता को मानता है तो वह भी हिंदू है. दूसरा यदि 32 करोड़ देवताओं को मानता है तो वह भी हिंदू है. यदि कोई किसी की भी पूजा नहीं करता तो भी वह हिंदू है. यही हिंदू संस्कृति है, जो हमें लोकतांत्रिक मूल्य देती है. उसी की वजह से इस देश में लोकतंत्र जिंदा है. इस दौरान उनके साथ मंच पर सलीम खान भी मौजूद थे. दोनों लेखक लंबे समय बाद एक मंच पर नजर आए. जावेद अख्तर ने इस मौके पर असहिष्णुता बढ़ने का जिक्र कियाी.  उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी कम हुई है और यह बात तो मैं लगातार दोहरा रहा हूं, यदि आज हम शोले लिख रहे होते तो मंदिर में अभिनेत्री के साथ धर्मेंद्र के डायलॉग्स पर बवाल मच जाता. इसी तरह संजोग फिल्म में ओमप्रकाश जिस तरह गानों में कृष्ण और सुदामा की कहानी सुनाते हैं, क्या आज वैसा हो सकता है.'

भारत में किसी को भी बोलने की आजादी है . यहीं कारण है कि अमीर खान, नसीरुद्दीन शाह जैसे लोगों का इस देश में दम घुटने का बयान देने की आजादी है.  बहरहाल असहमतियां लोकतंत्र के प्रति निष्ठा का ही एक संदर्भ है, बशर्ते इसके सहारे राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को मौका नहीं मिलना चाहिए. सरकारें आती और जाती रहेंगी, मगर लोकतंत्र कायम रहना चाहिए. संविधान के निहित मापदंड और न्याय व्यवस्था का विस्तार सघनता से बने रहना चाहिए. 


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