डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किला पहुंच चुके हैं, जहां उन्होंने गॉर्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करने के बाद तिरंगा फहराया. इसके साथ ही उन्होंने देश को संबोधित किया इस दौरान उन्होंने कहा, आज आजीवन संघर्ष करने वाले अनगिनत मां भारती के दीवानों को नमन करने का पर्व है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लगातार 11वीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया. इस वर्ष लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में अन्य लोगों के अलावा लगभग 6,000 विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया गया है. झंडा फहराने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की. अपने सरकारी आवास से निकलने के बाद वह सीधे राजघाट पहुंचे और ‘बापू’ की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए.
पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि आज शुभ घड़ी है. जब हम देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले और अपना जीवन समर्पित करने वाले आजादी के दीवानों को नमन कर रहे हैं। ये देश उनका ऋणी है. ऐसे हर देशवासी के प्रति हम अपना श्रद्धा भाव व्यक्त करते हैं.' देश को प्रेरित करते हुए पीएम मोदी ने कहा जब हम 40 करोड़ थे, तब महासत्ता को हरा दिया, आज तो हम 140 करोड़ हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा, अगर 40 करोड़ लोग भारत को आज़ाद करा सकते हैं तो सोचिए 140 करोड़ लोग क्या कर सकते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर इस बार 11 श्रेणियों के तहत 18 हजार मेहमान आकर्षण का केंद्र हैं। खास बात यह है कि इनमें से 6 हजार खास मेहमान महिला, किसान, युवा और गरीब वर्ग के हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से देश को विकास का संदेश दे रहे हैं और उन्होंने 2047 तक देश को विकसित बनाने लिए अपना विजन जनता के सामने रखा।
लाल किला के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 2047 सिर्फ शब्द नहीं हैं। इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। लोगों को सुझाव लिए जा रहे हैं। इसके लिए लोगों ने अनगिनत सुझाव दिए हैं। हर देशवासी का सपना उसमें प्रतिबिंबित हो रहा है। युवा हो, बुजुर्ग हो, गांव के लोग हों, शहर में रहने वाले, किसान, आदिवासी, दलित, महिलाएं, हर किसी ने 2047 में जब देश विकसित भारत की आजादी का पर्व मनाएगा तो हर व्यक्ति का उसमें योग्यता होगा। किसी ने स्किल कैपिटल बनाने का सुझाव रखा, किसी ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का, किसी ने विश्वविद्यालयों को वैश्विक स्तर बनाने का सुझाव दिया.
लाल किला के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि परिवार के बीच जब स्वच्छता वातावरण बन जाए तो ये भारत के अंदर आई नई चेतना का प्रतिबिंब है। आज हमारे देश में तीन करोड़ परिवार ऐसे हैं, जिन्हें नल से जल मिल रहा है। आज 15 करोड़ परिवार इसके लाभार्थी बन रहे हैं. कौन वंचित थे, इन व्यवस्थाओं से। इनमें दलित, आदिवासी, गरीब लोग इन चीजों के अभाव में जी रहे थे। हमने प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए जो प्रमाण दिया, उसका लाभ जनता को मिल रहा है। हमने वोकल फॉर लोकल का मंत्र दिया। वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट का विचार दिया। इसका प्रभाव दिखने लगा है.'
लाल किला के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत के लिए एक सुविचारित प्रयास हो रहा है। जब राजनीतिक नेतृत्व का दृढ़ विश्वास हो और सरकारी मशीनरी उस सपने को पूरा करने के लिए जुट जाता है और इसमें जनभागीदारी हो जाए तो निश्चित परिणाम मिलता है। जब चलता है वाली सोच होती है तो लोग जो है उसी से गुजारा कर लो। यही माहौल बन गया था। हमें इस मानसिकता को तोड़ना होगा। हमें विश्वास से भरना था। हमने उस दिशा में प्रयास किया है। लोग कहते थे कि अगली पीढ़ी का हम इंतजार क्यों करें हम तो आज का देखें। हमें जिम्मेदारी दी गई और हमने बड़े सुधार जमीन पर उतारे। गरीब हो, मिडिल क्लास हो, हमारी बढ़ती शहरी आबादी हो, युवाओं के सपने और आंकाक्षाएं हों। हमने सुधार की राह चुनी। हम देशवासियों को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हमारे सुधार चार दिन की वाहवाही के लिए नहीं है। ये किसी मजबूरी में नहीं हैं, देश को मजबूती देने के लिए है।'
लाल किला के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं एक छोटा सा उदाहरण देना चाहता हूं। पहले बैंकिंग क्षेत्र का न विस्तार होता था ना विकास होता था। बैंकिंग सेक्टर संकट में था। हमने बैंकिंग सेक्टर को विकसित बनाने के लिए कई सुधार किए। आज हमारा बैंकिंग सेक्टर मजबूत है। जब बैंक मजबूत होते हैं तो संगठित अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है। देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने की सबसे बड़ी ताकत बैंकिंग सेक्टर में होती है। किसान, युवा, पशुपालक, रेहड़ी-पटरी वाले लाखों लोग बैंकों से जुड़कर नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहे हैं। हमारे एमएसएमई, लघु उद्योगों के लिए बैंक सबसे सहायक होते हैं। '
'साथियों से दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी तो मिली लेकिन लोगों को एक प्रकार के माई बाप कल्चर से जूझना पड़ा। सरकार से मांगते रहे, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहो। आज हमने गवर्नेंस के मॉडल को बदला है। आज सरकार खुद जनता के पास जाती है। सरकार खुद गैस, बिजली पानी, पहुंचाती है। सरकार खुद नौजवान के स्किल डेवलपमेंट के लिए कदम उठा रही है।'