DESK: सावन का अंतिम सोमवारी कल है। ऐसे में सावन के आखिरी दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। जिससे सावन के आखिरी दिन महादेव की विधिवत्त पूजा पाठ करने से पूरे वर्ष घर में धन धान्य बरसेगा। बता दें कि इस बार सावन की शुरूआत भी सोमवार से हुआ था।वहीं समापन भी सोमवार के दिन ही हो रहा है। सावन के अंतिम सोमवारी को शोभन योग सहित कई शुभ योग एक साथ बन रहे हैं। ऐसे में महादेव की पूजा पाठ करने से अनंत फल की प्राप्ति होगी। वहीं सावन के अंतिम सोमवार को कुछ आवश्यक काम जरुर करना चाहिए। जिससे आपको अधिक फल प्राप्त होगा।
सावन के अंतिम सोमवार को जरूर करें ये उपाय
सावन के अंतिम सोमवार पर भगवान शिव को भी राखी जरूर अर्पित करें। दरअसल, इस दिन रक्षाबंधन भी है तो आप ऐसे में रक्षाबंधन के पर्व की शुरुआत भगवान शिव को राखी अर्पित करने से करें। भगवान शिव के साथ भगवान कृष्ण को भी राखी अर्पित करें।
नौकरी व कारोबार में उन्नति के लिए एक धतूरा लें और उसको हल्दी के लेप से लपेट कर शिवलिंग पर जरूर अर्पित कर दें। ऐसा करने से आपके सभी कार्यों में सफलता मिलेगी।
सावन के अंतिम सोमवार को शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अवश्य अर्पित करें और नंदी की मूर्ति के पीछे के पैर छुएं। ऐसा करने से भाग्य का हर कदम पर साथ मिलेगा।
इस दिन 108 बेलपत्र की तीनों पत्तियों पर सफेद चंदन लगाकर शिवलिंग पर अर्पित करें। साथ ही बेलपत्र के पौधे के पास घी का दीपक भी जलाएं। ऐसे करने से आपको आर्थिक लाभ मिलेगा।
जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही है तो वह सावन के अंतिम सोमवार पर भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक जरूर करें और शिवलिंग पर 5 नारियल जरूर चढ़ाएं।
वहीं चूकि इस वर्ष सावन का समापन सोमवार के दिन हो रहा है। ऐसे में मान्यता के अनुसार, इस शुभ अवसर पर महादेव की उपासना और मंत्रो का जप करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और सुख-शांति मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं सावन के अंतिम सोमवार को भगवान शिव के मंत्रों के बारे में।
शिव नमस्कार मंत्र
शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
शिव नामावली मंत्र
श्री शिवाय नम:
श्री शंकराय नम:
श्री महेश्वराय नम:
श्री सांबसदाशिवाय नम:
श्री रुद्राय नम:
ॐ पार्वतीपतये नम:
ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:
शिव आवाहन मंत्र
ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।
वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।
देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।
अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।
सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।
शिव स्तुति मंत्र
ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय हिरण्यपतए
अंबिका पतए उमा पतए पशूपतए नमो नमः
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्
ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवो अस्तु सदा शिवोहम
तत्पुरुषाय विद्महे वागविशुद्धाय धिमहे तन्नो शिव प्रचोदयात्
महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धिमहे तन्नों शिव प्रचोदयात्
नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी
रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदशिवाय श्रीमान महादेवाय नमः