SITAMARHI : जानकी नवमी पर प्रत्येक वर्ष की तरह मिथिला शक्ति संघ के द्वारा शहर के हॉस्पिटल रोड स्थित लीची बागान के समीप धनुषधारी मां सीता के अलौकिक प्रतिमा पूजन का आयोजन किया गया। मिथिला शक्ति संघ द्वारा आयोजित पूजन कार्यक्रम में मां सीता के शिव धनुष को उठाए जाने वाले बाल स्वरूप प्रतिमा का पूजन किया गया। पूजा पर यजमान के रूप अविनाश कुमार बैठे। वही आचार्य भरत चौबे द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा को संपन्न कराया गया।
श्रद्धालुओं का आना जारी
संघ की कार्यकारणी कोषाध्यक्ष ज्योति कुमारी ने बताया कि मां सीता की धनुषधारणी स्वरूप की मूर्ति निर्माण को देखने के लिए दूर-दराज से लोगों का आना शुरु हो गया है। वहीं लोग संघ के इस कदम की जमकर सराहना कर रहे हैं। मूर्ति निर्माण मिथिला शक्ति संघ के तत्वावधान में किया जा रहा है। मां सीता ने जहां जन्म लिया। वहां के लोगों को आज भी पता नहीं कि मां सीता का स्वरूप कैसा था। लोगों को उनके स्वरूप को दिखाने के लिए सीता के मूर्ति के पूजन का संकल्प लिया गया था, जिसे विगत छह वर्षो से निरंतर किया जा रहा है। सचिव अविनाश कुमार ने बताया की प्रत्येक वर्ष जानकी नवमी पर लखनदेई नदी के सीता घाट पर अलौकिक मूर्तिपूजन का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन लोकतंत्र का महापर्व चुनाव को लेकर पूर्ति पूजन का आयोजन घाट पर नही किया जा सका है। परंतु आगे वर्ष से पूजा सीता घाट पर ही आयोजित की जाएगी।
मिथिला धामों का हो सर्वांगीण विकास :
संघ के आयोजन समिति की अध्यक्ष प्रज्ञा भारती ने बताया की आज हमारे समाज में पुनः कुछ लोगो के कारण सामाजिक समरसता को बिगाड़ने का नकारात्मक प्रयास किया जा रहा है, जिसे खंडित कर सामाजिक समरसता बनाये रखने के लिए मां सीता के उसी शिव धनुष को धारण किये हुए प्रतिमा पूजन का आयोजन मिथिला शक्ति संघ द्वारा कर समाज के लोगो को आपसी एकता और समरसता को बनाये रखने की एक प्रेरणा देने का काम किया जायेगा। सचिव अविनाश ने कहा कि नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति व जगत की जननी मां सीता अपने ही घर में उपेक्षित थी। हमारी मां सीता कैसी थी यह कोई नहीं जान रहा था। अब लोग मां सीता के स्वरूप के बारे में जान सकेंगे। कहा कि केंद्र व राज्य सरकार मां सीता की इस धरती को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर देश के राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित किया जाएगा।
विश्व पर्यटन मानचित्र पर लाने का प्रयास
आयोजन समिति की सदस्य आराध्या कुमारी ने बताया की संघ का उद्देश्य है की सीतामढ़ी समेत समस्त मिथिला धामों का सर्वागिक विकास हो। जिसके लिए मिथिला शक्ति संघ मां सीता की प्राकट्य स्थली सीतामढ़ी समेत सभी मिथिलाधामो को विश्व पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए सरकार से मांग कर रही है। जिससे इलाके में बेरोजगारो को रोजगार और क्षेत्र का सर्वागिण विकास होगा। संघ के इस कदम से युवाओं में उत्साह है। युवा वर्ग मूर्ति पूजन के निर्णय की जमकर सराहना कर रहे है। संघ का यह ऐतिहासिक कदम था। यहां बड़े-बड़े संत महात्मा आचार्य, राजनीतिज्ञ, व्यवसायी व अधिकारी माता के दरवार में माथा टेकने आते है। तथा उनका आर्शीवाद प्राप्त कर मनचाहा वरदान प्राप्त करते है। पर मां सीता की जन्मस्थली आज भी उपेक्षित है। मूर्ति पूजन से एक नई परंपरा की शुरुआत को मिथिला में जन्म देने का काम किया गया है।
सीतामढ़ी से अविनाश की रिपोर्ट