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खास तरह के एक जैसे 52 टांकों की कला बावन बूटी के कलाकार पद्मश्री कपिलदेव प्रसाद का निधन, इलाके में शोक की लहर

खास तरह के एक जैसे 52 टांकों की कला बावन बूटी के कलाकार पद्मश्री कपिलदेव प्रसाद का निधन, इलाके में शोक की लहर

नालंदा-  पद्मश्री से सम्मानित कपिलदेव प्रसाद का आज सुबह बिहारशरीफ के बसवनबिगहा गांव में निधन हो गया है. कपिलदेव प्रसाद के निधन से  लोगों में शोक की लहर है.  हस्तकरघा और बाबनबूटी साड़ी के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के एक गांव की पहचान  कपिल देव प्रसाद से रही है.  

जिला मुख्यालय बिहारशरीफ के बसवन बीघा गांव निवासी कपिल देव प्रसाद की पहचान इसलिए भी थी , क्योंकि उन्होंने बाप-दादा से सीखे हुनर को लोगों में बांटकर रोजगार का एक माध्यम विकसित कर दिया. बावन बूटी मूलत: एक तरह की बुनकर कला है.  सूती या तसर के कपड़े पर हाथ से एक जैसी 52 बूटियां यानि मौटिफ टांके जाने के कारण इसे बावन बूटी कहा जाता है. बूटियों में बौद्ध धर्म-संस्कृति के प्रतीक चिह्नों की बहुत बारीक कारीगरी होती ह. बावन बूटी में कमल का फूल, बोधि वृक्ष, बैल, त्रिशूल, सुनहरी मछली, धर्म का पहिया, खजाना, फूलदान, पारसोल और शंख जैसे प्रतीक चिह्न ज्यादा मिलते हैं. बावन बूटी की साड़ियां सबसे ज्यादा डिमांड में रहती हैं, वैसे इस कला से पूर्व परिचित लोग बावन बूटी चादर और पर्दे भी खोजते हैं। कपिल देव प्रसाद के दादा शनिचर तांती ने इसकी शुरुआत की थी.

मशीनी कपड़ों के बाजार में बावन बूटी की जानकारी ही कम लोगों को थी, लेकिन पद्मश्री पुरस्कार के साथ अब यह पूरे देश में खोजा जा रहा है.कपिलदेव प्रसाद का आज सुबह बिहारशरीफ के बसवनबिगहा गांव में निधन हो गया है. कपिलदेव प्रसाद के निधन से  लोगों में शोक की लहर दौड़ गयी है. 

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