GAYA : एक तरफ पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव और अमृत काल मना रहा है। वहीं दूसरी तरफ वतन की सुरक्षा मे जान न्यौछावर करने वाले वीर शहीदों को उचित सम्मान तक मयस्सर नहीं हुआ है। जो दुखद होने के अलावा शर्मनाक भी है। उक्त बाते पंडित यदुनंदन शर्मा सेवा आश्रम ट्रस्ट के अध्यक्ष रविशंकर कुमार ने टिकारी प्रखंड के कुतुलूपुर के कारगिल युद्द में शहीद हुए रामपुकार शर्मा के परिजनों से मुलाकात के दौरान कहा।
उन्होंने ट्रस्ट की ओर से शहीद के प्रतिमा पर अंग वस्त्र और फूलों का माला रखकर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उनकी माता बच्ची देवी को अंग वस्त्र से सम्मानित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। शहीद के माता से उनके जन्मभूमि और स्मारक का मिट्टी ग्रहण किया। इस दौरान माता सहित सभी की आंखे नम हो गई। माता की अपने लाल के शहादत को याद कर गला भर आई।
उन्होंने बताया कि कारगिल युद्द के 25 वर्ष बीत जाने के बाद भी शहीद के सम्मान में हुए घोषणा आजतक जमीन उतर नहीं पाई है। न ही पटना में कारगिल विजय स्मारक में इनका नाम दर्ज हुआ है। रविशंकर ने बताया कि इस मिट्टी को कारगिल विजय स्मारक पटना में स्थापित किया जाएगा। सरकार और जनप्रतिनिधियों की सम्वेदना मर चुकी है। शहीद रामपुकार शर्मा के गांव में जाने वाली सड़क और इनके नाम पर तोरणद्वार जैसे मामूली घोषणा का अबतक पूरा नहीं होना इसका उदाहरण है। परिजनों को आज भी सरकारी घोषणाओं के पूरा होने के इन्तजार है। कमोवेश यहीं स्थिति धर्मशाला के दूसरे कारगिल शहीद मिथिलेश पाठक की है।
ट्रस्ट के अध्यक्ष ने कहा कि पंचानपूर स्थित दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय मे दोनो शहीद की प्रतिमा स्थापित कर मुख्य द्वार इनके नाम से किया जाए। जल्द ही योजना बना कर दोनो शहीदों के स्मारक की मिट्टी पटना ले जाया जाएगा। प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसके लिए मांग किया जाएगा। इस मौके पर समाजसेवी हिमांशु शेखर सहित शहीद के परिजन उपस्थित थे।
गया से प्रभात कुमार मिश्रा की रिपोर्ट