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पप्पू यादव की लव स्टोरी है बेहद खास, पहली नजर में हुआ था रंजीता रंजन से प्यार ... ऐसे पहुंचा इश्क अंजाम तक

पप्पू यादव की लव स्टोरी है बेहद खास, पहली नजर में हुआ था रंजीता रंजन से प्यार ... ऐसे पहुंचा इश्क अंजाम तक

पटना. बिहार की राजनीति में खास पहचान बनाने वाले राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव की एक पहचान आशिकाना दिल से है। पप्पू का दिल जिस रंजीता रंजन के लिए धड़कता है उनके साथ ही लव स्टोरी भी बेहद खास है। 24 दिसम्बर को जन्मदिन मना रहे पप्पू यादव की लव स्टोरी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है। 1990 में विधायक और 1991 में निर्दलीय लोकसभा सांसद बने पप्पू यादव की प्यार की कहानी भी बेहद खास है।

बात साल 1991 की है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक मामले में पप्पू यादव पटना की जेल में बंद थे। वे अक्सर जेल सुपरिटेडेंट के आवास से सटे मैदान में लड़कों को खेलते देखा करते थे। इन्हीं लड़कों में एक विक्‍की था। पप्‍पू की विक्की से नजदीकियां बढ़ गईं। फिर एक दिन पप्पू ने उसके फैमिली एलबम में रंजीत की टेनिस खेलती तस्‍वीर देखी। यह पहली नजर में प्‍यार था। इसके बाद जब जेल से छूटे तो रंजीत को देखने अक्सर वहां चले जाते थे, जहां वे टेनिस खेलतीं थीं। पप्‍पू ने पहली बार उन्‍हें पटना क्‍लब में देखा था।

यह पप्‍पू के लड़की से मिलने और इंप्रेस करने के मौके तलाशने का दौर था। लेकिन रंजीत को यह पसंद नहीं था। उनकी बेरूखी कम होने का नाम नहीं ले रही थीं तो पप्पू भी अपनी कोशिश छोड़ने को तैयार नहीं थे। पटना के मगध महिला महाविद्यालय से पढ़ने के बाद रंजीत ने पंजाब विश्‍वविद्यालय में एडमिशन ले लिया और वहीं टेनिस की प्रैक्टिस करने लगीं। वे नेशनल व इंटरनेशनल टेनिस खेलतीं थी। पिता सेना से रिटायर होने के बाद गुरुद्वारे में ग्रंथी हो गए थे। अब पप्‍पू ने रंजीत को फॉलो करने के लिए पटना से पंजाब तक के चक्‍कर लगाने शुरू कर दिए थे। यह सिलसिला करीब तीन साल तक चलता रहा। दो साल तक तो रंजीत को इसका पता तक नहीं चला। जब इस दीवानगी का पता चला तो रंजीत ने कड़े शब्‍दों में मना किया, लेकिन पप्पू कहां मानने वाले थे। उनके नहीं मानने पर यह भी समझाया कि वे सिख हैं और पप्पू हिंदू, इसलिए परिवार वाले उनकी शादी के लिए राजी नहीं होंगे।

अब बात परिवार तक पहुंचने की बारी थी। रंजीता के माता-पिता इस शादी के खिलाफ थे, लेकिन पप्पू के आनंदमार्गी पिता चंद्र नारायण प्रसाद और माता शांति प्रिया अपने बेटे की खुशी के लिए राजी हो गए थे। पप्पू अब रंजीत के बहन-बहनोई को मनाने चंडीगढ़ जा पहुंचे, लेकिन बात नहीं बनी। इसी बीच राजनीति में मुकाम बना चुके पप्‍पू को पता चला कि कांग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया की बात रंजीता का परिवार नहीं टाल सकता है। फिर क्‍या था, पप्पू ने दिल्ली जाकर अहलूवालिया से मदद की गुहार लगाई। उन्‍होंने मदद भी की। प्‍यार को पाने की इस कोशिश का क्‍लाइमेक्‍स तब आया जब हताशा में पप्‍पू ने नींद की ढेरों गोलियां खा लीं। हालत बिगड़ी तो इलाज के लिए उन्‍हें पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। इस घटना के बाद उनके प्रति रंजीत का व्यवहार कुछ नरम हुआ। यह इस प्रेम कहानी का टर्निंग प्‍वाइंट था।

रंजीत के पप्‍पू को लेकर सॉफ्ट होने के बाद उनके माता-पिता भी मान गए। फिर देानों की शादी पूर्णिया के गुरुद्वारे में होनी तय की गई। तय हुआ कि फिर शादी आनंद मार्ग पद्धति से होगी। लेकिन एक और गतिरोध का आना बाकी था। शादी के लिए दुल्‍हन रंजीत और उनके परिवार को लेकर आ रहा चार्टर्ड विमान रास्ते में ही भटक गया। इसके बाद तो हंगामा मच गया। अंतत: जब विमान पहुंचा तो सबों ने राहत की सांस ली। फरवरी 2094 में पप्‍पू व रंजीत की शादी के लिए पूर्णिया की सड़कों को सजाया गया था। सारे होटल और गेस्ट हाउस बुक कर दिए गए थे। इस शादी में चौधरी देवीलाल, लालू प्रसाद यादव, डीपी यादव और राज बब्बर सहित अनेक गणमान्‍य लोग शामिल हुए थे। आम लोगों के लिए भी खास व्यवस्था की गई थी।

पप्‍पू और रंजीत रंजन बिहार की पहली जोड़ी है, जिसने एक साथ संसद में प्रवेश पाया है। आज पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी के अध्‍यक्ष व पूर्व सांसद हैं तो पत्नी रंजीता रंजन सुपौल से कांग्रेस की पूर्व सांसद रहीं हैं। आज रंजीत रंजन दमदार राजनेता के साथ अच्‍छी पत्‍नी व मां भी हैं। पप्‍पू अपनी पत्‍नी की सराहना करते थकते नहीं है। उनके इमानदार व बिना लाग-लपेट वाले स्‍वभाव के वे कायल हैं।


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