बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

पारस हॉस्पिटल पटना ने बिना चीरा लगाये हार्ट के वल्व का प्रत्यारोपण कर इतिहास रचा

पारस हॉस्पिटल पटना ने बिना चीरा लगाये हार्ट के वल्व का प्रत्यारोपण कर इतिहास रचा

PATNA : बिहार-झारखंड में पहली बार बोन मैरो ट्रांसप्लांट और किडनी ट्रांसप्लांट की शुरूआत कर पटना के पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल ने 65 वर्षीय एक वृद्ध की टी.ए.वी.आर. (ट्रांस कैथेटर एओटिक रिप्लेसमेंट) पद्धति से बिना चीरा लगाये वल्व का प्रत्यारोपण कर एक और नया इतिहास रच डाला है। वल्व में खराबी के कारण मरीज हार्ट फेल्यर की स्थिति में आ गया था जिससे उसकी किडनी और लीवर ने भी काम करना बंद कर दिया था।

उसका हार्ट मात्र 20 प्रतिशत काम कर रहा था जिससे उसकी स्थिति गंभीर हो गयी थी। साधारणतया वल्व का प्रत्यारोपण बड़ा चीरा लगाकर किया जाता है, लेकिन चूंकि मरीज की स्थिति काफी खराब थी, इसलिए ओपन सर्जरी संभव नहीं था। इस स्थिति को देखते हुए टी.ए.वी.आर. पद्धति का सहारा लिया गया। इस पद्धति में जांघ की नस के माध्यम से वल्व का प्रत्यारोपण किया जाता है।

हॉस्पिटल के कैथ लैब में दो घंटे तक चले ऑपरेशन के दूसरे दिन से ही उसकी स्थिति सामान्य हो गयी। वह चलने-फिरने और बातचीत करने लगा। बाद में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। हॉस्पिटल ने फ्री में यह ऑपरेशन किया, सिर्फ वल्व खरीदकर उसे लाना पड़ा। ऑपरेशन करने वाले हॉस्पिटल के हार्ट विभाग के डायरेक्टर डॉ निशांत त्रिपाठी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि टी.ए.वी.आर. पद्धति से ऑपरेशन की शुरूआत भारत में करीब तीन साल पहले की गयी। वह भी देश के कुछ चुनिंदा शहरों में।

उन्होंने कहा कि चूंकि पारस का कैथलैब काफी उन्नत है, इसलिए यहां टी.ए.वी.आर. ऑपरेशन संभव हो पाया। सांस फूलने की समस्या से परेशान मरीज एक माह पहले यहां भर्ती हुआ। उस समय जांच में पता चला कि उसका एयोटिक वल्व खराब है। जब मरीज के परिजन टी.ए.वी.आर. के लिए तैयार हुए तो ऑपरेशन की तैयारी में करीब 10 दिन लग गये। उसका इको, सिटी स्कैन कराया गया। सिटी स्कैन से उसके वल्व के साइज का पता चला। उन्होंने कहा कि तब मरीज से कहा गया कि आप वल्व खरीदकर लाएं तो मुफ्त में इसका प्रत्यारोपण हम करेंगे।

डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि अब वह खाना-पीना ले रहा है तथा सामान्य जिंदगी जी रहा है। हार्ट के वल्व बदलते ही उसकी किडनी और लीवर ने भी काम करना शुरू कर दिया हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के ऑपरेशन में डॉक्टरों की टीम काम करती है तथा यहां अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद हैं। इसलिए यह ऑपरेशन पूर्ण सफल हो पाया। इस ऑपरेशन में डॉ अशोक कुमार, डॉ राम सागर, डॉ अजित कुमार, सर्जन डॉ. सुधीर वी.भी., डॉ. अनुज कुमार, डॉ. अतुल मोहन और एनेस्थेटिस्ट डॉ. चंदन कुमार का योगदान भी सराहनीय रहा।


 हॉस्पिटल के रिजनल डायरेक्टर डॉ. तलत हलीम ने कहा कि टी.ए.वी.आर. बिहार-झारखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अब इस ऑपरेशन के लिए भी लोगों को मुम्बई, दिल्ली, जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस ऑपरेशन को एक अद्भूत ऑपरेशन की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि हमारे हॉस्पिटल के कैथलैब में अत्याधुनिक मशीनें, उपकरण, सुविधाएं तथा विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद हैं, इसलिए टी.ए.वी.आर. पद्धति यहां संभव हो पाया। मरीज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे सिर्फ वल्व खरीदने के लिए कहा गया और ऑपरेशन बगैरह हमने मुफ्त में करवाया। उन्होंने कहा कि हम बिहार-झारखंड के मरीजों की सेवा के लिए देश के अन्य भागों में उपलब्ध इलाज के तरीकों को अपने यहां भी लागू कर रहे हैं ताकि इन क्षेत्रों के लोगों को अपने राज्यो से बाहर न जाना पड़े।

Suggested News