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संसद के शीतकालीन सत्र होंगी 17 बैठकें, मोदी सरकार लाने वाली है 16 बिल, जानिए आम लोगों पर क्या होगा असर

संसद के शीतकालीन सत्र होंगी 17 बैठकें, मोदी सरकार लाने वाली है 16 बिल, जानिए आम लोगों पर क्या होगा असर

DESK. संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार से शुरू होने वाला है। सत्र शुरू होने के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन के बाहर मीडिया को सार्वजनिक रूप से संबोधित किया और इस सत्र की महत्ता पर प्रकाश डाला। 29 दिसंबर तक चलने वाले सत्र में संसद के दोनों सदनों की 17 बैठकें होंगी। सत्र पहले की तरह संसद के पुराने भवन में होगा, क्योंकि अभी नए भवन का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। लोकसभा आज एक घंटे के लिए स्थगित होगी। अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने वरिष्ठ नेता और मौजूदा सांसद मुलायम सिंह यादव के सम्मान में स्पीकर से सदन को आधे दिन के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर आज शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद को संबोधित करेंगे।

परंपरा के अनुसार मंगलवार को सरकार ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में संसद पुस्तकालय भवन के अंदर सर्वदलीय बैठक बुलाई। सिंह के साथ राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने बैठक में भाग लिया। इस बीच, कांग्रेस ने शीतकालीन सत्र को क्रिसमस के बाद जारी रखने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई, जबकि पिछली बार इसे 25 दिसंबर से पहले स्थगित कर दिया गया था। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार को शीतकालीन सत्र की तारीखों की घोषणा करने से पहले क्रिसमस जैसे त्योहारों को ध्यान में रखना चाहिए था।

सत्र के दौरान सरकार की कोशिश एक दर्जन से अधिक बिलों को पारित कराने और अनुदान की अनुपूरक भी मौजूद मांगों को पारित कराने की रहेगी। इनमें लोकसभा से पास हो चुके और राज्यसभा में लंबित चार बिल भी हैं। राज्यसभा में ऐसे तीन बिल और भी आ सकते हैं, जिनकी रिपोर्ट सदन में पेश हो चुकी है। वहीं बिजली संशोधन बिल, टेलिकॉम बिल और डेटा प्रोटेक्शन बिल जैसे तीन अहम बिल फिलहाल संसदीय समितियों के सामने विचारार्थ हैं। इस बार सदन में आने वाले अहम बिलों में बहु-राज्यीय सहकारी समितियों में जवाबदेही बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया में सुधार से संबंधित बिल, वन संरक्षण और संशोधन बिल भी शामिल हैं। 

विपक्ष तैयार : सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने साफ किया कि महंगाई, बेरोजगारी, सरकारी एजेंसियों के कथित दुरुपयोग, सीमा पर तनाव, ईडब्ल्यूएस आरक्षण और साइबर क्राइम जैसे अहम मुद्दों को सदन में उठाएगा। विपक्ष के तेवर से लगता है कि पूर्वी लद्दाख में चीन से लगी सीमा की स्थिति और जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के मुद्दे पर सदन में टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। अधीर रंजन चौधरी का कहना था कि चीन से लगी सीमा पर स्थिति के बारे में हमें सही ढंग से जानकारी नहीं दी जा रही है। विपक्ष चाहता है कि सत्र के दौरान इस विषय पर भी चर्चा हो। बीजेडी की ओर महिला आरक्षण के मुद्दे को लेकर अपने सरोकार सामने रखे गए।


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