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पटना हाईकोर्ट ने लॉ कॉलेजों की स्थिति के सम्बन्ध में दायर याचिका पर की सुनवाई, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने का दिया निर्देश

पटना हाईकोर्ट ने लॉ कॉलेजों की स्थिति के सम्बन्ध में दायर याचिका पर की सुनवाई, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने का दिया निर्देश

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति के सम्बन्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने  राज्य के अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। राज्य के सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों की स्थिति व किये गए सुधार का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है।

पूर्व की सुनवाई में चान्सलर कार्यालय के हलफनामा में बताया गया था कि लॉ कालेजों में नेट/ पीएचडी डिग्रीधारी शिक्षक होने चाहिए। पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने चान्सलर कार्यालय को हलफनामा दायर कर ये बताने को कहा था कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई। साथ ही ये भी बताने को कहा गया था कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं।

चान्सलर ने राज्य के विश्वविद्यालयों के वाईस चान्सलर की बैठक 3 अप्रैल,2023 को तय किया था। इस बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों की संख्या, बुनियादी सुविधाएँ, सम्बद्धता दिए जाने के सम्बन्ध विचार विमर्श किया जाना था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि इन लॉ कालेजों में जो प्रिंसिपल और शिक्षक कार्य कर रहे है, वे यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते है। उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किये पद पर बने हुए।इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं किया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है। राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा था कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है। कोर्ट को अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है। वहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है। बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के  बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है। बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कालेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे है। इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद  ही सत्र 2021- 22  के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां  दाखिला लेने  के लिए अनुमति दी थी। सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवं रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने अपने पक्षों को प्रस्तुत किया। इस मामलें पर अगली सुनवाई  25 अप्रैल,2023 को की जाएगी। 

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