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बिहार के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की दयनीय हालत पर पटना हाई कोर्ट ने की सुनवाई, एडमिशन को लेकर अहम निर्देश

बिहार के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की दयनीय हालत पर पटना हाई कोर्ट ने की सुनवाई, एडमिशन को लेकर अहम निर्देश

PATNA. पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी और निजी लॉ कालेजों की दयनीय हालत पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि अगर कोई लॉ कालेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है, तभी छात्रों का एडमिशन होना चाहिए। कोर्ट ने रोहतास के ए एन लॉ  कॉलेज को चालू करने के लिए अनुमति मांगे जाने पर अनुमति देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि  कोई लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है,उन कालेजों में ही लॉ की पढ़ाई होनी चाहिए।

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति काफी खराब है।इन कालेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने बताया कि बहुत सारे लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते है। इस कारण उन कालेजों में  स्तरीय लॉ की पढ़ाई नहीं होती है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इन कालेजों में से अधिकतर के पास अपने भवन नहीं है।छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। लाइब्रेरी,शुद्ध पेय जल,साफ शौचालयों आदि की व्यवस्था नहीं है। 

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इन लॉ कालेजों में  पढ़ाने के पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षक नहीं है। इन शिक्षकों का तय मानदंडो के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं है। इन शिक्षकों को पीएचडी डिग्री प्राप्त होना चाहिए, लेकिन इन कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों में से अधिकतर के पास ये योग्यता नहीं है। इस मामलें पर अगली सुनवाई नवंबर,2023 में होगी। कोर्ट ने इन कालेजों को बीसीआई के समक्ष निरीक्षण हेतु आवेदन करने को कहा। यदि बीसीआई कालेजों की निर्धारित मानकों को पूरा करता है,तभी उसे कालेज चालू करने व छात्रों के एडमिशन की अनुमति प्रदान किया जाएगा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गया के अनुग्रह नारायण कालेज और बक्सर के जननायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज के सम्बन्ध में बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से जवाब माँगा था। आज बीसीआई ने इस सम्बन्ध में कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत किया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है।बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कालेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे है ।

उन्होंने इन कालेजों की जांच स्वतन्त्र एजेंसी से कराने का कोर्ट से अनुरोध किया। कोर्ट ने कहा कि अगर निर्धारित अवधि में इन कालेजों की स्थिति में सुधार नही किया जाता, तो जांच कराई जा सकती हैं। इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण 2021- 22 की सत्र के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को दाखिले के लिए अनुमति दी थी। हाई कोर्ट ने पिछले 23 मार्च  2021 के उस  आदेश , जिसके अंतर्गत बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी गयी थी। इस आदेश में आंशिक संशोधन किया गया। इसके तहत इन 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी ।  

हाई कोर्ट ने साफ किया कि नया दाखिला सिर्फ 2021-22 के लिए ही होगा। अगले साल  के सत्र के लिए बार काउंसिल से फिर मंजूरी लेनी होगी । पिछली सुनवाइयों में कोर्ट ने इन कालेजों का निरीक्षण कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया को तीन सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था।कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि जिन लॉ कालेजों को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी गई थी, वहां की व्यवस्था और उपलब्ध सुविधाओं को भी देखा जाए। इस मामलें पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जाएगी।

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