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नगर निकाय चुनाव में आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के तहत- हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील

नगर निकाय चुनाव में आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के तहत- हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील

पटना. हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर 2022 को राज्य के नगर निकायों के चुनाव में ओबीसी/अति पिछडा वर्ग के आरक्षण के सम्बन्ध में दिए गए फैसले पर विभिन्न विचार सामने आ रहे हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट के तीन टेस्ट को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक इन आरक्षित सीटों को सामान्य सीट मान कर चुनाव हो।

इसी को देखते हुए राज्य चुनाव आयोग ने राज्य में 10 और 20 अक्टुबर 2022 को होने वाले नगर निकायों के चुनाव को फिलहाल स्थगित कर दिया है। दूसरी ओर राज्य सरकार पटना हाइकोर्ट के इस फैसले को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है। वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने पटना हाइकोर्ट के इस फैसले को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया दिया है, वह सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन के तहत दिया है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया था कि ये तीन टेस्ट करने के बाद ही इन वर्गों के आरक्षण पर निर्णय करना है। इसके अंतर्गत एक कमीशन का गठन करना था, जो इन वर्गों की स्थिति पर अध्ययन करती। किसको इसमें आरक्षण का देना है, कितना प्रतिशत देना है। साथ ही ये आरक्षण की सीमा पचास फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

राज्य सरकार द्वारा इन निर्देशों का पालन नहीं किये जाने के कारण पटना हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में ये फैसला दिया। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जा रही है।उन्होंने बताया कि इसमें राज्य सरकार ने कहना है कि इस सम्बन्ध में राज्य सरकार पहले ही कार्रवाई कर चुकी है। काका कालेलकर कमीशन, मुंगेरीलाल कमीशन आदि के तहत इस सन्दर्भ में कार्रवाई की जा चुकी है।


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