पटना. पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के एक चतुर्थ श्रेणी की मृत कर्मचारी शांति देवी के मृत्यु के 17 साल बाद भी उसके पुत्र को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी नहीं देने पर कड़ा रुख अपनाया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने संजीत कुमार ऊर्फ संजीव कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के प्रमुख प्रशासक को अगली सुनवाई मेंं कोर्ट में उपस्थित का आदेश दिया।
कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता निर्मल कुमार सिन्हा ने बताया कि गया में पथ परिवहन निगम में 12 जुलाई,1975 में शांति देवी की नियुक्ति वाटर मैन (पानी पिलाने वाली कर्माचारी) के रूप में हुई। 1अगस्त,,2004 को शांति देवी का उनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई। संजीत कुमार को उनकी माँ के स्थान पर अनुकम्पा के आधार पर नियुक्त करने के लिए बिहार राज्य पथ परिवहन निगम, गया के क्षेत्रीय प्रबंधक ने अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति हेतु अनुशंसा करते हुए आवेदन को निगम के प्रमुख प्रशासक, पटना को भेज दिया। लेकिन संजीत कुमार की अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति नहीं हुई।
उसके बाद कई वर्षो तक संजीत कुमा ने अधिकारियों को लगातार अभ्यावेदन दिया गया।लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। 15 जनवरी, 2020 को संजीत कुमार के अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति के लिए दिए गए आवेदन को क्षेत्रीय प्रबंधक, गया ने अनुशंसा के साथ प्रमुख प्रशासक, पटना को भेजा। लेकिन अबतक उसकी नियुक्ति नहीं हुई है। इस मामले पर कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई होगी।