कटिहार- बाढ़ के दस्तक के साथ ही कटिहार के कई इलाकों में आवागमन को जारी रखने के लिए चचरी पुल का जाल बिछाया जाता है, बड़ी बात यह है कि ऐसे चचरी पुल को ग्रामीण निजी सहयोग से चंदा करके तैयार करते हैं और ऐसे पुल के सहारे यातायात व्यवस्था को जारी रखना हमेशा खतरनाक होने के बावजूद मजबूरी में ग्रामीण ऐसा करने के लिए बाध्य हो जाते हैं.
तस्वीर कटिहार के बरारी विधानसभा की वैसागोविंदपुर पंचायत की है जहां लगभग चार वार्ड की छह हज़ार से अधिक आबादी बाढ़ के दस्तक के साथ हीं या यूं कहे पूरा साल चचरी पुल पर ही आना जाना करने के लिए बेबस है, लोगों के माने तो महज 1 से 2 किलोमीटर की दूरी चाचरी पुल के माध्यम से तय करके प्रखंड मुख्यालय एवं जिला मुख्यालय से जुड़ा हुआ काम वह लोग पूरा कर लेते है नहीं तो यह सफर 18 से 20 किलोमीटर तक की हो सकती है.
ऐसे में लोग समय के बचत को देखते हुए अपने दैनिक कार्य निपटने के लिए इस चचरी पुल का इस्तेमाल करते हैं, लोगों के माने तो कारीकोशी नदी पर यह पुल बनना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह पुल बनने से मानसाही मवेशी हाट से लेकर और कई जगह तक पहुंचाना इस बड़ी आबादी के लिए आसान हो जाएगा, स्थानीय लोगों के माने तो पूर्व विधायक के स्तर पर इसको लेकर प्रयास भी हुआ था .मगर न जाने फिलहाल सब कुछ क्यों ठप पड़ा हुआ है.
लोग चाहते हैं जल्द से जल्द बरारी विधानसभा के कारी कोशी नदी पर बने इस चचरी पुल के जगह पक्की पुल का निर्माण हो ताकि यातायात व्यवस्था आसान हो सके।
रिपोर्ट- श्याम कुमार सिंह