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अस्पतालों में छिपकर अपना इलाज करवा रहे हैं पटना में हुई गोलाबारी में घायल लोग, घटना के बाद दहशत में जी रहे हैं ग्रामीण

अस्पतालों में छिपकर अपना इलाज करवा रहे हैं पटना में हुई गोलाबारी में घायल लोग, घटना के बाद दहशत में जी रहे हैं ग्रामीण

बिहटा के अमनाबाद में सोन नदी किनारे बने टापू पर दो गुटों के बीच गुरुवार को दोनों तरफ से सैकड़ों राउंड फायरिंग हुई जिसमे दोनों तरफ से एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं जो पुलिस से छिप कर अपना इलाज करवा रहे हैं.

सोन नदी से सटे अमनाबाद के स्थानीय लोगों के मुताबिक ये किसानों की रैय्यती जमीन हैं जो 400 बीघा में स्थित है. जिस पर पिछले कई महीनों से बालू के अवैध खनन को लेकर दो गुटों में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए खूनी संघर्ष चल रहा हैं. अमनाबाद के ग्रामीणों ने बताया की इस वर्चस्व की लड़ाई में अब तक दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो हैं. जिससे गांव के अधिकांश लोग बालू माफियाओं साए में दहशत में जीने के लिए मजबूर हैं.

बालू माफियाओं ने लोगों में ऐसा भय व्याप्त किया है जिससे स्थानीय लोग पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराने से हिचकिचाते हैं. अमनाबाद के स्थानीय लोगों  ने बताया हैं कि कई बार इस अवैध खनन को लेकर अलग अलग किसानों ने जिलाधिकारी से लेकर पुलिस के वरीय अधिकारियों तक आवेदन दिया लेकिन प्रशासन ने कोई संज्ञान नही लिया. जिसके परिणाम स्वरूप बालू माफियाओं के अवैध खनन का दायरा बढ़ता जा रहा हैं.

बालू घाटों पर इन गुटों का चलता है राज

बिहार सरकार ने बालू  अवैध खनन पर रोक लगा रखी है. बावजूद इसके सोन नदी से बालू का अवैध खनन जारी है. बिहटा-मनेर सीमा के सोन तटवर्तीय क्षेत्र अमनाबाद से लेकर सुवर मरवा तक बालू माफियाओं ने अवैध खनन अड्डा बना लिया हैं. बताया जाता हैं कि फौजी और सिपाही गुट के बाद श्री गुट और धीरज गुट ने सोन नदी के तटवर्तीय इलाके अमनाबाद से लेकर सुअरमरवा तक अपना-अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए सैकड़ो लोगों अत्याधुनिक हथियारों से लैस तैनात रखा हैं.जिसका परिणाम गुरूवार को देखने को मिला हैं.

 जानकारी के मुताबिक दो गुटों ने बालू के अवैध खनन करने और मोर्चा पर तैनात रहने के लिए अलग -अलग जिलों और कस्बों से मोटी रकम देकर सैकड़ों लोगों को शामिल किया. वर्चस्व कायम रखने के लिए ये सभी एक दूसरे गुटों पर कभी भी अंधाधुंध फायरिंग करते हैं जिसका नतीजा आसपास के गांव में रहने वाले को भुगतना पड़ता है। गांव के सभी लोग अब दहशत के साए में दिन काट रहे हैं।

इससे साफ जाहिर हैं कि बालू के अवैध खनन पर न तो खनन विभाग लगाम लगाने में नाकामियाब रहा हैं और न तो पुलिस प्रशासन, मामले भले ही दर्ज होते हैं लेकिन वो सिर्फ़ फाइल में सिमट कर रह जाते हैं।

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