PATNA : पटना हाईकोर्ट ने 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना दौरे में गड़बड़ी फैला कर पूरे देश के सांप्रदायिक सौहार्द भंग करने और भारत के संविधान को पलट करने की साजिश के मामलें में पांच आरोपियों को अग्रिम जमानत देने हेतु अपीलों को खारिज कर दिया है ।जस्टिस विपुल पंचोली की खंडपीठ ने मंजर आलम वो अन्य चार अभियुक्तों की ओर से दायर आपराधिक अपीलों पर सुनवाई कर खारिज कर दिया।
खंडपीठ ने माना कि एन आई ए ने इस साजिश की घटना की जांच में पर्याप्त सबूत पाएं हैं । न्यायिक हिरासत में बंद इस साजिश कांड के दो मुख्य अभियुक्त , मो .जलालुद्दीन और अतहर परवेज के खिलाफ एजेंसी ने जो आरोप पत्र दायर किया था,उसके हवाले से कई सनसनीखेज सबूत का जिक्र हाई कोर्ट ने अपने फैसले में किया है।
इस साजिश के तहत प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एवं स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया से जुड़े लोगों को संगठित कर पूरे देश में धार्मिक उन्माद चार चरणों में फैलाना था । भारतीय संविधान को पलट कर पूरे भारत में इस्लामिक कानून स्थापित किया जाये।
गौरतलब है कि पटना पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभा में गड़बड़ी फैलाने की साजिश गुप्त सूचना पर 11 जुलाई ,2022 को फुलवारीशरीफ में मो जलालुद्दीन के घर छापा मारा । उसके किरायेदार ताहिर परवेज के पास से कई सनसनीखेज दस्तावेज और उपकरण बरामद किया था, जिससे देश में सांप्रदायिक तनाव और देश की अखंडता के खिलाफ एक साजिश पनपने की घटना को थाने में दर्ज किया था
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एन आई ए से जांच कराने का निर्णय केंद्री सरकार ने 22 जुलाई 2022 को लिया था ।गिरफ्तार हुए जलालुद्दीन और अतहर ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में अन्य लोगों का भी नाम लिया था,जिनमें इन पांच अग्रिम जमानत अर्जीदारो के नाम भी शामिल थे।