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Pitru Paksha : पितृ पक्ष में बिहार का गया क्यों हो जाता है सबसे खास, पौराणिक कथाओं से जुड़ा है इतिहास, जानिए कब करें श्राद्ध

Pitru Paksha : पितृ पक्ष में बिहार का गया क्यों हो जाता है सबसे खास, पौराणिक कथाओं से जुड़ा है इतिहास, जानिए कब करें श्राद्ध

Pitru Paksha . पितृ पक्ष की शुरुआत इस वर्ष 17 सितम्बर से हो रही है. 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या यानी अमावस्या श्राद्ध को इसका समापन होगा. ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध के समय, पूर्वज लोग अपने रिश्तेदारों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। ऐसे में बिहार के गया में पितृ पक्ष के दौरान विधान करना बेहद शुभकर माना जाता है. श्राद्ध कर्म की व्यख्या रामायण और महाभारत दोनों ही महाकाव्य में मिलती है। पितृ पक्ष का महाभारत से एक प्रसंग है. श्राद्ध का एक प्रसंग महाभारत महाकाव्य से इस प्रकार है, कौरव-पांडवों के बीच युद्ध समाप्ति के बाद, जब सब कुछ समाप्त हो गया, दानवीर कर्ण मृत्यु के बाद स्वर्ग पहुंचे। उन्हें खाने मे सोना, चांदी और गहने भोजन के जगह परोसे गये। इस पर, उन्होंने स्वर्ग के स्वामी इंद्र से इसका कारण पूछा।




इस पर, इंद्र ने कर्ण को बताया कि पूरे जीवन में उन्होंने सोने, चांदी और हीरों का ही दान किया, परंतु कभी भी अपने पूर्वजों के नाम पर कोई भोजन नहीं दान किया। कर्ण ने इसके उत्तर में कहा कि, उन्हें अपने पूर्वजों के बारे में कोई ज्ञान नही था, अतः वह ऐसा करने में असमर्थ रहे। तब, इंद्र ने कर्ण को पृथ्वी पर वापस जाने के सलाह दी, जहां उन्होंने इन्हीं सोलह दिनों के दौरान भोजन दान किया तथा अपने पूर्वजों का तर्पण किया। और इस प्रकार दानवीर कर्ण पित्र ऋण से मुक्त हुए।


पितृ पक्ष को लेकर अलग अलग तिथियों में तर्पण के अलग अलग शुभ मुहूर्त हैं. इसमें हर दिन भिन्न समय के दौरान तर्पण करने से सर्वाधिक लाभ और पुण्यार्जन की बातें कही गई हैं. 

पितृ पक्ष 2024 श्राद्ध की 16 तिथियां

पूर्णिमा श्राद्ध: 17 सितंबर, मंगलवार

भाद्रपद पूर्णिमा तिथि: 17 सितंबर को 11:44 ए एम से 18 सितंबर को 08:04 ए एम तक


प्रतिपदा श्राद्ध: 18 सितंबर, बुधवार

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि: 18 सितंबर को 08:04 ए एम से 19 सितंबर को 04:19 ए एम तक


द्वितीया श्राद्ध: 19 सितंबर, गुरुवार

आश्विन कृष्ण द्वितीया तिथि: 19 सितंबर को 04:19 ए एम से 20 सितंबर को 12:39 ए एम तक


तृतीया श्राद्ध: 20 सितंबर, शुक्रवार

आश्विन कृष्ण तृतीया तिथि: 20 सितंबर को 12:39 ए एम से 09:15 पी एम तक


चतुर्थी श्राद्ध, महाभरणी: 21 सितंबर, शनिवार

आश्विन कृष्ण चतुर्थी तिथि: 20 सितंबर को 09:15 पी एम से 21 सितंबर को 6:13 पी एम तक


पंचमी श्राद्ध: 22 सितंबर, रविवार

आश्विन कृष्ण पंचमी तिथि: 21 सितंबर को 6:13 पी एम से 22 सितंबर को 03:43 पी एम तक


षष्ठी श्राद्ध और सप्तमी श्राद्ध: 23 सितंबर, सोमवार

आश्विन कृष्ण षष्ठी तिथि: 22 सितंबर को 03:43 पी एम से 23 सितंबर को 01:50 पी एम तक


अष्टमी श्राद्ध: 24 सितंबर, मंगलवार

आश्विन कृष्ण सप्तमी तिथि: 23 सितंबर को 01:50 से 24 सितंबर को 12:38 पी एम तक

आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि: 24 सितंबर को 12:38 पी एम से 25 सितंबर को 12:10 पी एम तक



नवमी श्राद्ध, मातृ नवमी: 25 सितंबर, बुधवार

आश्विन कृष्ण नवमी तिथि: 25 सितंबर को 12:10 पी एम से 26 सितंबर को 12:25 पी एम तक


दशमी श्राद्ध: 26 सितंबर, गुरुवार

आश्विन कृष्ण दशमी तिथि: 26 सितंबर को 12:25 पी एम से 27 सितंबर को 01:20 पी एम तक


एकादशी श्राद्ध: 27 सितंबर, शुक्रवार

आश्विन कृष्ण एकादशी तिथि: 27 सितंबर को 01:20 पी एम से 28 सितंबर को 02:49 पी एम तक


द्वादशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध: 29 सितंबर, रविवार

आश्विन कृष्ण द्वादशी तिथि: 28 सितंबर को 02:49 पी एम से 29 सितंबर को 04:47 पी एम तक


त्रयोदशी श्राद्ध: 30 सितंबर, सोमवार

आश्विन कृष्ण त्रयोदशी तिथि: 29 सितंबर को 04:47 पी एम से 30 सितंबर को 07:06 पी एम तक


चतुर्दशी श्राद्ध: 1 अक्टूबर, मंगलवार

आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तिथि: 30 सितंबर को 07:06 पी एम से 1 अक्टूबर को 09:39 पी एम तक


सर्व पितृ अमावस्या, अमावस्या श्राद्ध: 2 अक्टूबर, बुधवार

आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि: 1 अक्टूबर को 09:39 पी एम से 3 अक्टूबर को 12:18 ए एम तक

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