PATNA: बिहार में जमीन की रजिस्ट्री में भी खेल किया जाता है। भूमि का नेचर बदलकर निबंधन के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं. जमीन का नेचर बदलने से सरकार को राजस्व की भारी क्षति होती है। जमीन निबंधन के समय़ अधिकारियों की मिलीभगत से आवासीय भूमि को दोफसला, व्यवसायिक को आवासीय में बदला जाता है. यह काम सब-रजिस्ट्रार की मिलीभगत से ही संभव है। निबंधन विभाग की तरफ से समय-समय पर कार्रवाई भी होती है। इसके बाद भी इस पर अंकुश नहीं लगता. 2016 में एक ऐसे ही मामले में सरकार को चार करोड़ से अधिक की राजस्व हानि हुई थी। अब तत्कालीन सब रजिस्ट्रार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है। सब रजिस्ट्रार वर्तमान में अरवल के जिला अवर निबंधक के पद पर पदस्थापित हैं. पूर्वी चंपारण के चकिया में जमीन निबंधन में खेल हुआ था. तब ये वहां के अवर निबंधक थे।
जानें पूरा मामला
यह मामला वर्ष 2016 का है. पूर्वी चंपारण के चकिया में जमीन का नेचर बदलकर निबंधन किया गया था। चकिया के तत्कालीन अवर निबंधक राकेश कुमार ने 23 दिसंबर 2016 को उक्त जमीन का निबंधन किया था. जिसका दस्तावेज संख्या 6295 है. इस दस्तावेज के निबंधन के 17 दिन बाद अन्य चार दस्तावेजों का निबंधन किया गया जो पूर्व दस्तावेज के बाउंड्री के अंदर था। बाद के सभी चार दस्तावेजों का निबंधन व्यवसायिक श्रेणी में किया गया. जबकि पहले वाले दस्तावेज को व्यवसायिक नहीं किया गया था। यानि जमीन का नेचर बदलकर रजिस्ट्री गई। इसका लाभ क्रेता को और नुकसान सरकार को हुआ। इसमें अवर निबंधक की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
महालेखाकार ने 4.32 करोड़ की पकड़ी गड़बड़ी
महालेखाकार ने इस पर आपत्ति उठाई तब जाकर मामला खुला। इसके बाद 31 जनवरी 2022 को दायर अपील का निष्पादन करते हुए 4.32 करोड़ रूपया कमी निर्धारित करते हुए सहायक निबंधन महानिरीक्षक को कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. पाया गया कि चकिया के तत्कालीन अवर निबंधक राकेश कुमार ने दस्तावेज के निबंधन में निबंधन अधिनियम एवं बिहार रजिस्ट्री नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन कर राजस्व की क्षति पहुंचाईहै। साथ ही वरीय पदाधिकारी के आदेश की अवहेलना की . इस आधार पर निबंधन विभाग ने विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्णय लिया और विभाग के उप सचिव निरंजन कुमार को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया है.