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मन की बात में स्वच्छता को लेकर मधुबनी के सुखेत मॉडल का जिक्र, जानें क्यों प्रधानमंत्री ने इसे कहा आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण

मन की बात में स्वच्छता को लेकर मधुबनी के सुखेत मॉडल का जिक्र, जानें क्यों प्रधानमंत्री ने इसे कहा आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण

NEW DELHI : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात के 80वें मन की बात में खेल दिवस से लेकर मेजर ध्यानचंद का जिक्र किया। साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी पर कई प्रकार की बातें कहीं। इस दौरान देश में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर बदले माहौल को लेकर लोगों की सोच के बारे में बताया। विशेषकर देश के सबसे स्वच्छ शहर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने एक नया अभियान चलाया है। यहां WATER PLUS CITY कार्यक्रम शुरू किया गया है। एक ऐसा शहर जहां बिना ट्रीटमेंट के कोई भी सीवेज या किसी सार्वजनिक जल स्रोत में पानी नहीं डाला जाता है। 

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने बिहार के मधुबनी शहर का भी जिक्र किया है, जहां संचालित डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय और वहां के स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र ने एक बेहतर प्रयास किया है, जिसका लाभ किसानों को हो रहा है, साथ ही स्वच्छ भारत अभियान को भी नई ताकत मिल रही है। प्रधानमंत्री ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय ने “सुखेत मॉडल” नाम का एक कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है गांवों में प्रदूषण को कम करना।

कचरा इकट्ठा करने पर मिलते हैं गांववालों को गैस सिलेंडर के पैसे

प्रधानमंत्री ने सुखेत मॉडल का जिक्र करते हुए बताया कि इसमें गांव के किसानों से गोबर और खेतों और घरों से निकलनेवाला अन्य कचरा इकट्ठा किया जाता है और उसके बदले में गांववालों को रसोई गैस सिलेंडर के पैसे दिए जाते हैं। जो  कचरा गांव से जमा होता है, उसके निपटारें के लिए वर्मी कंपोष्ट का निर्माण किया जा रहा है।

सुखेत मॉडल से चार लाभ सामने

प्रधानमंत्री ने सुखेत मॉडल के फायदे गिनाते हुए बताया कि इससे चार लाभ स्पष्ट सामने नजर आ रहे हैं, एक – गांव को कचरा व गंदगी से मुक्ति, दूसरा – गांव को प्रदूषण से मुक्ति, तीसरा गांव वालों को गैस सिलेंडर के लिए पैसे और चौथा खेती के लिए जैविक खाद की उपलब्धता। उन्होंने कहा यह गांव की शक्ति को कितना बढ़ा सकता है। यही तो आत्मनिर्भरता है।  



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