पटना। सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल pmch एक बार फिर से अपने हंगामे के कारण चर्चा में आ गया है। अंतर बस इतना है कि इस बार हंगामा करनेवाले जूनियर डॉक्टर नहीं, बल्कि कोविड महामारी के लिए बनाए गए वार्ड के कर्मी थे। जिनकी शिकायत है कि उन्हें चार माह से वेतन नहीं दिया गया है। जिसके कारण अब उनकी आर्थिक स्थिति चरमराने लगी है।
बताया गया कि कोरोना महामारी को देखते हुए चार माह पहले पीएमसीएच में कोरोना वार्ड की स्थापना की गई थी। जिसमें मरीजों की देखभाल के लिए 45 वार्ड ब्वाय की नियुक्ति की गई थी। लेकिन चार माह से भी ज्यादा का समय गुजरने के बाद भी अब तक किसी को वेतन नहीं दिया गया है। जिसके कारण यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना पड़ा है। इस दौरान वार्ड ब्वाय ने अधीक्षक कार्यालय का घेराव कर लिया और उन्हें वेतन संबंधी ज्ञापन सौंपा। इन कर्मियों ने बताया कि हम लोग अपने परिवार से दूर रहकर अपनी जान को खतरे में डालकर लोगों की सेवा करते रहे, लेकिन हमारी सेवा के बदले अब तक प्रबंधन ने वेतन नहीं दिया है। जिससे अब आर्थिक स्थिति चरमराने लगी है।
यह स्थिति तब है जब प्रदेश के गर्वनर इस बात की घोषणा करते हैं कि राज्य में कोरोना महामारी से बचाव के लिए 10 हजार करोड़ से भी ज्यादा की राशि खर्च की गई। सवाल यह है कि यह राशि कहां खर्च हुई, जब कोरोना वारियर्स को चार माह का वेतन नहीं मिल सका।