RANCHI. जिन पुलिसकर्मियों को वह दो दशक से भी ज्यादा समय तक निर्देश देते रहे। जिनके साथ हर अपराध से जुड़े कार्रवाई में वह साथ रहे। उसी पुलिस की जांच पर अब वह भरोसा नहीं करते हैं औरझारखंड पुलिस का यह बड़ा आईपीएस अधिकारी अपने खिलाफ लगे आरोपों की जांच पुलिस की जगह सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं।
मामला सीआईडी के पूर्व एडीजी अनुराग गुप्ता का है, जिन्हें 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान हार्स ट्रेडिंग की साजिश में शामिल होने के आरोप में पिछले साल हेमंत सरकार ने निलंबित कर दिया था। साथ ही उनके खिलाफ जगन्नाथपुर थाने में एफआईआर कराकर जांच के निर्देश दिए थे।
झारखंड पुलिस पर भरोसा नहीं
अब लगभग 11 माह से निलंबित चल रहे एडीजी अनुराग गुप्ता ने राज्य सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने जगन्नाथपुर थाने में अपने ऊपर दर्ज प्राथमिकी के साथ-साथ सरकार के निलंबन से संबंधित आदेश को भी चुनौती दी है। हाई कोर्ट में आवेदन देकर उन्होंने अपने ही खिलाफ सीबीआइ से जांच कराने का आग्रह किया है और बताया है कि झारखंड पुलिस के अनुसंधान से उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं है।
हाईकोर्ट ने सरकार को दिया आदेश
अब एडीजी अनुराग गुप्ता के आवेदन के आधार पर हाई कोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र दायर करने का आदेश दिया है। शपथ पत्र के माध्यम से सरकार को केस संबंधित सभी तथ्य व केस की वर्तमान स्थिति से हाई कोर्ट को अवगत कराना है।
क्या है पूरा मामला
बताया गया राज्यसभा चुनाव 2016 में अनुराग गुप्ता ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने के लिए बड़कागांव की तत्कालीन विधायक निर्मला देवी को लालच देने और उनके पति पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को धमकी दी थी। जिसमें पिछले साल मामला सामने आने के बाद 14 फरवरी 2020 को हेमंत सरकार ने एडीजी अनुराग गुप्ता को निलंबित कर दिया था। तब वे सीआइडी के एडीजी थे।