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बिहार कांग्रेस के टिकट बंटवारे में सियासी परिवारों की बल्ले बल्ले, ‘पराजित’ बेटे को सेट करने में अखिलेश भी सफल, बाहरी नेताओं पर मेहरबान

बिहार कांग्रेस के टिकट बंटवारे में सियासी परिवारों की बल्ले बल्ले, ‘पराजित’ बेटे को सेट करने में अखिलेश भी सफल, बाहरी नेताओं पर मेहरबान

पटना. कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद बिहार की 5 लोकसभा सीटों को लेकर उम्मदीवारों के नाम तय कर दिए. पश्चिम चम्पारण, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज, समस्तीपुर और सासाराम से प्रत्याशियों का नाम फाइनल हो गए जबकि पटना साहिब सीट को लेकर अभी भी उम्मीदवार का इंतजार है. ऐसे में कांग्रेस ने जिन 5 सीटों को लेकर उम्मीदवारों का नाम तय किया है उसमें सियासी परिवारों से आने वाले प्रत्याशियों की बल्ले बल्ले दिखती है. यहां तक पिछले लोकसभा चुनाव में पराजित हो चुके अपने बेटे आकाश को फिर से लोकसभा का टिकट दिलाने में अखिलेश सिंह सफल हो गए. इतना ही अन्य अन्य दलों से कांग्रेस में आने वालों की भी चांदी रही. अजय निषाद, सन्नी हजारी और मनोज कुमार दूसरे दलों से आकर कांग्रेस का टिकट हासिल करने में सफल रहे. 

कांग्रेस ने पश्चिम चंपारण से मदन मोहन तिवारी, मुजफ्फरपुर से अजय निषाद, महाराजगंज से आकाश प्रसाद सिंह, समस्तीपुर से सन्नी हजारी और सासाराम से मनोज कुमार को उम्मीदवार बनाया है. इन उम्मीदवारों का पारिवारिक इतिहास देखें तो पश्चिम चंपारण से मदन मोहन तिवारी मुखिया से राजनीतिक सफल शुरू किए और अब लोकसभा का टिकट पाने में सफल रहे. बेतिया के पिपरा पकड़ी निवासी मदन मोहन बिना किसी राजनीतिक गॉड फादर के यहां तक पहुंचे हैं. हालांकि कांग्रेस के अन्य उम्मीदवार इससे अलग हैं. 

बेटे को दिलाया टिकट : महाराजगंज से उम्मीदवार आकाश प्रसाद सिंह बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे हैं. वर्ष 2019 में आकाश प्रसाद सिंह ने पूर्वी चंपारण से चुनाव लड़ा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राधा मोहन सिंह ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के उम्मीदवार आकाश प्रसाद सिंह को हराया था. राधा मोहन सिंह को 2019 के लोकसभा चुनाव में 5 लाख 74 हजवार 081 वोट मिले थे. वहीं, आरएलएसपी के उम्मीदवार आकाश प्रसाद सिंह को 2 लाख 81 हजार,500 वोट मिले थे. करीब 2.90 लाख वोटों के अंतर से हारने वाले आकाश को अखिलेश सिंह फिर से टिकट दिलाने में सफल रहे. इस बार महाराजगंज से आकाश चुनावी ताल ठोकने को तैयार है. 

बाहरी पर भरोसा : वहीं  मुजफ्फरपुर से अजय निषाद कांग्रेस उम्मीदवार हैं. वे पिछले दिनों ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे. मुजफ्फरपुर से अजय निषाद के पिता कैप्टन जय नारायण निषाद वर्ष 1996 से सांसद रहे. वर्ष 2004 में यहां जोर्ज फर्नांडिस बीच में एक बार चुनाव जीते उसके बाद दो बार 2014 और 2019 में अजय निषाद ने जीत हासिल की. अब भाजपा ने अजय का टिकट काट दिया तो वे कांग्रेस के हो गए. इसी तरह समस्तीपुर से सन्नी हजारी भी पिछले दिनों ही कांग्रेस में शामिल हुए थे. उनके पिता माहेश्वर हजारी जदयू के वरिष्ठ नेता हैं. बिहार सरकार में मंत्री रहने के साथ ही कई अन्य पदों पर रहे हैं. अब अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाने के लिए सन्नी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. 

हाथी से हाथ का सफर : सासाराम से मनोज कुमार भी पहले बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. वर्ष 2019 में मनोज ने मायावती की पार्टी से किस्मत आजमाया था लेकिन सफलता नहीं मिली. अब कांग्रेस में शामिल होते ही उन्हें भी हाथ का टिकट वाला साथ मिल गया है. ऐसे में सियासी परिवारों या अन्य दलों से कांग्रेस में आए उम्मीदवारों की इस बार टिकट बंटवारे में खूब बल्ले बल्ले रही है. 

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