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समर्थकों की बेतहाशा भीड़ से सियासी संजीवनी जुटा खेल पलटने की कोशिश में तेजस्वी,क्या इस यात्रा से राजद के लिए निकलेगा नया सूरज..? पढ़िए इनसाइड स्टोरी..

समर्थकों की बेतहाशा भीड़ से सियासी संजीवनी जुटा खेल पलटने की कोशिश में तेजस्वी,क्या इस यात्रा से राजद के लिए निकलेगा नया सूरज..? पढ़िए इनसाइड स्टोरी..

PATNA: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इन दिनों जनविश्वास यात्रा पर हैं। इस दौरान तेजस्वी यादव सूबे के सभी जिलों में भ्रमण कर रहें हैं। सीएम नीतीश के पलटी मरने के बाद जनता के विश्वास को जीतने के लिए तेजस्वी यादव ने जमीनी तौर पर तैयारियां शुरू कर दी है। तेजस्वी यादव ने अपनी जनविश्वास यात्रा की शुरुआत मुजफ्फरपुर से की थी। यहां से उन्होंने सीएम और पीएम के खिलाफ हुंकार भरी, और उनकी यात्रा अब तक शिवहर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज, आरा, सीवान, छपरा, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नवादा, नालंदा, जहानाबाद पहुंच चुकी है। आज तेजस्वी वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा व मधुबनी जाएंगे। तेजस्वी यादव की यात्रा में भारी जनसैलाब उमड़ रहा है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो अपनी यात्रा से तेजस्वी राजद के लिए सियासी संजीवनी जुटाने की कोशिश में लगे हुए हैं।  

समर्थकों की भीड़ का सियासी मतलब क्या?

तेजस्वी यादव अपनी यात्रा के दौरान जनता के बीच न सिर्फ अपने 17 महीनों के कामों को रख रहे हैं बल्कि जनता से एक मौका भी मांग रहे हैं। वहीं सीएम नीतीश के पलटी मरने के बाद जनता के बीच तेजस्वी यादव की लोकप्रियता साफ तौर पर देख रही है। युवा हो या बुजुर्ग तेजस्वी यादव को इस यात्रा में सबका साथ मिल रहा है। तेजस्वी यादव को सुनने के लिए एक बड़ी जनसैलाब उमड़ रही है। तेजस्वी अपनी इस यात्रा के दौरान सीएम नीतीश के साथ साथ पीएम मोदी पर भी जमकर निशाना साध रहे हैं। लेकिन समर्थकों की भीड़ का सियासी मतलब समझना बहुत जरूरी है। यात्रा में दिख रही समर्थकों की भीड़ राजद के लिए एक नया सवेरा ला सकता है। जनविश्वास यात्रा से तेजस्वी को लोकसभा के साथ साथ विधानसभा चुनाव में भी फायदा मिल सकता है। तेजस्वी आमजनों के बीच ना सिर्फ अपने 17 महीनों के कार्यकाल में हुए कामों को गिना रहे हैं बल्कि जनता को यह भी जता रहे हैं कि हमने 17 महीने में इतना काम किया तो अगर हमारी सरकार होगी तो हम कितना काम करेंगे। 

तेजस्वी की लोकप्रियता बढ़ी या घटी?

लोकसभा के चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले ही सीएम नीतीश ने राजद के साथ गठबंधन तोड़ दिया। अब ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े पैमाने पर जनता की सहानुभूति तेजस्वी यादव के पाले में चली आई है। यह तेजस्वी की जनविश्वास यात्रा में उमड़ रही भीड़ को देखकर महसूस किया जा सकता है। सीएम नीतीश के पलटी मारने से तेजस्वी यादव को एक तरीके से फायदा ही हुआ है। जनता के बीच तेजस्वी की लोकप्रियता बढ़ गई है। तेजस्वी जिस जिले में जा रहे हैं वहां राजद समर्थक उनका भव्य स्वागत कर रहे हैं। जनता को अब सीएम नीतीश से ज्यादा तेजस्वी यादव पर भरोसा है। सीएम नीतीश को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने के लिए कोई भी राजामंद नहीं देख रहा है। सीएम नीतीश को लेकर आमजन पलटू राम, पलटू कुमार, पलटू चाचा,भगोड़ा जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जनता का कहना है कि नीतीश कुमार ने पिछले कुछ सालों में पलटी मार मार कर बिहार के विकास की गाड़ी को रोक दी है। यहां तक की सीएम नीतीश के गृह जिला नालंदा में भी एक बड़ी संख्या में जन सैलाब तेजस्वी यादव के समर्थन में देख रही है। वहां के लोगों का कहना है कि इस बार नालंदा के 7 विधानसभा सीट पर राजद का कब्जा होगा। जनता की मानें तो अब सीएम की पार्टी जदयू में कुछ नहीं बचा है, पार्टी समाप्त हो चुकी है और अब बिहार में राजद और बीजेपी के बीच ही अहम मुकलबा है। तेजस्वी की बढ़ती लोकप्रियता जदयू और बीजेपी के लिए आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मुश्किलें खड़ा कर सकता है।

सीएम के प्रति राजद समर्थकों का गुस्सा क्या कहता है..

तेजस्वी यादव की लोकप्रियता देख कहीं न कहीं जदयू और बीजेपी में टेंशन है। राजद समर्थकों का सीएम नीतीश के खिलाफ रोष साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। वहीं बीजेपी और जेडीयू के नेताओं में तेजस्वी की यात्रा को लेकर बौखलाहट भी देखने को मिल रही है। एनडीए के नेता तेजस्वी को माफी यात्रा, पश्चाताप यात्रा करने की सलाह दे चुके हैं। वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव की यात्रा बिहार के जिस जिले में जा रही है वहां उनकी लोकप्रियता देखने को मिल रही है। तेजस्वी की इस विश्वास यात्रा में उनको एक बड़े जनसैलाब का समर्थन मिल रहा है। तेजस्वी यादव को लेकर जनता को झुकाओ देखने को मिल रहा है। वहीं सीएम नीतीश के प्रति राजद समर्थकों के गुस्से का सबसे बड़ी वजह उनका पलटी मारना है। सीएम नीतीश 2020 से 2024 के बीच दो बार पलटी मार चुके हैं। 5 साल के कार्यकाल में सीएम तीन बार मुख्यमंत्री का शपथ ले चुके हैं। 2020 में एनडीए गठबंधन के साथ विधानसभा चुनाव जीतने के एक साल बाद ही वो बीजेपी से नाराज देखने लगे और 2022 में उन्होंने पलटी मारकर तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन की सरकार बना ली। करीब 17 महीने सीएम महागठबंधन के साथ सरकार चलाई फिर 28 जनवरी 2024 को उन्होंने महागठबंधन से नाता तोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। सीएम के इस कदम से राजद समर्थकों में उनको लेकर नाराजगी साफ तौर पर दिख रही है। सीएम नीतीश ने बार बार पलटी मारकर अपनी लोकप्रियता खुद गंवा दी है। राजद समर्थकों का अब सीएम नीतीश कुमार पर भरोसा नहीं है, जनता के बीच सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार अब सिर्फ पलटू राम और पलटू चाचा मात्र बन कर रह गए हैं। 

RJD के लिए लोकसभा चुनाव में क्या कोई चमत्कार होगा?

तेजस्वी यादव के जनविश्वास यात्रा से राजद पार्टी को किसी बड़े चमत्कार के होने की उम्मीद है। तेजस्वी यादव को अपनी यात्रा के दौरान समर्थकों का काफी साथ मिल रहा है। राजद समर्थक पूरे जोश से हर जिले में तेजस्वी यादव का स्वागत कर रहे हैं। एक बड़ा जनसैलाब तेजस्वी यादव की यात्रा में शामिल हो रही है। तेजस्वी यादव की यात्रा 1 मार्च को खत्म होगी। वहीं 3 मार्च को तेजस्वी पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली का आयोजन करने वाले हैं। इस रैली में राजद सुप्रीमो लालू यादव के साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल होंगे। तेजस्वी यादव अपनी यात्रा के दौरान जनता से 3 मार्च को पटना आने की अपील कर रहे हैं। तेजस्वी का कहना है कि आप बड़े संख्या में पटना आइए.. पटना से ही केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की एनडीए सरकार का पतन शुरू होगा। बिहार में तेजस्वी यादव कांग्रेस और लेफ्ट के साथ गठबंधन में है। तेजस्वी की यात्रा से इस बार लोकसभा चुनाव में उन्हें फायदे मिलने के आसार दिख रहे हैं। बिहार में राजद पहले स्थान पर और बीजेपी दूसरे स्थान पर है। वहीं सीएम नीतीश की पार्टी जदयू तीसरे स्थान पर है। 

25 में कौन पड़ेगा बीस..?

अपनी यात्रा में तेजस्वी यादव कई बार कह चुके हैं कि सीएम नीतीश फिर पलटी नहीं मारेंगे इसकी गारंटी केंद्र की मोदी सरकार लेगी क्या? यानी देखा जाए तो सीएम नीतीश पर अब जनता हो या राजनीतिक पार्टियां किसी को भी भरोसा नहीं है। सीएम नीतीश पिछले 18 साल से लगातार सीएम तो हैं लेकिन कुछ सालों में उन्होंने ना सिर्फ जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बल्कि जनता का विश्वास भी खो दिया है। अब देखना होगा कि इस बार की लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता का झुकाओ किस ओर रहता है। क्या जनता एनडीए सरकार के ऊपर विश्वास जताती है? या फिर तेजस्वी बिहार की राजनीति की हवा को अपनी ओर मोड़ कर राज्य में 18 साल बाद राजद की सरकार बनने में सफल हो पाते हैं? यह तो आगामी कुछ महीनों में ही होने वाले लोकसभा चुनाव में साबित हो जायेगा कि 2025 में कौन किस पर हावी पर रहा है।

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