खगड़िया। जिला के महेशखूंट थाना के टाटा इमरजेन्सी हॉस्पीटल में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण प्रसव कराने आई महिला सहित और उसके बच्चे की मौत हो गई। इस घटना के बाद आक्रोशित परिजनों ने 107 हॉस्पीटल के समक्ष शव को रखकर सड़क जाम कर दिया। परिजन अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। फिलहाल, प्रशासन की तरफ से अस्पताल को सील करने की कार्रवाई की गई है। वहीं घटना के बाद आरोपी डॉक्टर फरार हो गया है।
मामले में बताया गया कि पसराहा थाना के महदीपुर निवासी चांदनी देवी पति अमित कुमार 24 साल को अस्पताल में डिलीवरी के लिए लाया गया था। जहां चेकअप के बाद परिवार को बताया गया कि मंगलवार सुबह नार्मल डिलीवरी कराई जाएगी। लेकिन रात में ही अचानक प्रसुता की पेन होना शुरू हो गया। जिसके बाद उसी समय ऑपरेशन करने की जानकारी अस्पताल प्रबंधन ने परिवार को दी। जिसके बाद परिजन नई खुशियों का इंतजार करने लगे।
बिना सिर के निकाला बच्चा
बताया गया ऑपरेशन में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बच्चे का सिर फंस गया। परिवार के लोगों का आरोप है कि इसके बाद डॉक्टर ने बिना कोई जानकारी दिए बच्चे के गले को काट कर अलग कर दिया, जिससे दुनिया में आंखें खोलने से पहले ही बच्चे की मौत हो गई। वहीं इस ऑपरेशन के बाद प्रसुता की भी हालत खराब होती चली गई और मंगलवार सुबह उसने भी दम तोड़ दिया।
सड़क पर शव रखकर किया विरोध
इस घटना के बाद परिजन प्रसुता के शव के साथ अस्पताल के गेट के सामने सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। जिसके कारण वहां जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई। परिजनों ने बताया कि अस्पताल वालों ने ऑपरेशन के लिए एक लाख रुपए जमा कराए गए थे, लेकिन इसके बाद जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई। इस दौरान परिजन आरोपी डॉक्टर की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग कर रहे थे।
अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई
जाम हटाने के लिए पहुंचे एसडीओ सुभाषचन्द्र मंडल.सीओ कुमार रविन्द्रनाथ सहित महेशखूंट पुलिस बल पहुंचे। जहां परिजनों के साथ उनकी बहस भी हुई। परिवार के लोगे डाक्टर पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे। मामले में परिजनों सहित लोगों के गुस्से को देखते हुए अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया। वहीं वहां भर्ती मरीजों को दूसरी अस्पताल में भेजा गया।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
जिले के प्राइवेट अस्पताल में इस तरह की लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। यहां कई फर्जी अस्पताल और फर्जी डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग की सहायता से अपना धंधा चला रहे हैं। जिन्हें मरीजों के इलाज की जगह सिर्फ पैसे ऐंठने से ही मतलब होता है। इन फर्जी क्लिनिकों पर कार्रवाई तो दूर, यहां उपलब्ध सुविधाओं की जांच करने की जहमत भी पुलिस नहीं उठाती है। हां, जब भी कोई बड़ी लापरवाही होती है, तो खानापूर्ति के लिए अस्पतालों पर कार्रवाई का दिखावा जरुर किया जाता है। जरुरत है कि ऐसे अस्पतालों का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया जाए।