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अवमानना केस में प्रशांत भूषण पर SC ने लगाया 1 रुपये का आर्थिक दंड, जमा नहीं करने पर 3 महीने की जेल

अवमानना केस में प्रशांत भूषण पर SC ने लगाया 1 रुपये का आर्थिक दंड, जमा नहीं करने पर 3 महीने की जेल

Desk: कोर्ट की अवमानना मामले में दोषी ठहराए गए प्रशांत भूषण के सजा का एलान हो गया है. कोर्ट ने 1 रूपए का आर्थिक दंड लगाया है. साथ ही 1 रूपया नहीं जमा करने पर 3 महीने की जेल हो सकती है.

आपको बता दें कि प्रशांत भूषण के दो विभिन्न ट्वीट पर उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया गया था. इससे पहले 25 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. पीठ ने प्रशांत भूषण के ट्वीट के लिए माफी मांगने से इनकार करने का जिक्र करते हुए कहा, माफी मांगने में क्या गलत है? क्या यह शब्द इतना बुरा है? सुनवाई के दौरान पीठ ने भूषण को ट्वीट के संबंध में खेद व्यक्त नहीं करने के लिए अपने रुख पर विचार करने के लिए 30 मिनट का समय भी दिया था. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि उनका यह सुझाव है कि प्रशांत भूषण को दंडित किए बिना मामले को बंद कर दिया जाए. शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था. इस मामले में उन्हें छह महीने तक का साधारण कारावास या 2,000 रुपये तक का जुमार्ना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है.

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि कब तक इस प्रणाली को भुगतना होगा. पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों की निंदा की जाती है और उनके परिवारों को अपमानित किया जाता है. उन्होंने कहा, वे तो बोल भी नहीं सकते. शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण के वकील से कहा कि उनसे उन्हें निष्पक्ष होने की उम्मीद है. प्रशांत भूषण का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत फैसले में कह सकती है कि वह भूषण से सहमत नहीं है. धवन ने जोर देकर कहा कि किसी को भी अवमानना ? कार्यवाही में माफी मांगने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और कहा कि भूषण द्वारा की गई हार्ले डेविडसन की टिप्पणी शायद ही आलोचना थी.

राजीव धवन ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत फैसले में कह सकती है कि लोगों को किस तरह के कोड का पालन करना चाहिए, लेकिन विचार भूषण को चुप कराने के लिए नहीं होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने दलीलों के दौरान भूषण से पूछा कि वह ट्वीट के लिए माफी मांगने के लिए इतने परेशान क्यों हैं.  अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ने जोर देकर कहा कि शीर्ष अदालत को भूषण को माफ कर देना चाहिए और मामले पर दयालु दृष्टिकोण रखना चाहिए. पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए और कहा कि उसने भूषण को समय दिया, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया.

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