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सीएम नीतीश से मिले पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष, कहा- केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के असली सूत्रधार हैं नीतीश

सीएम नीतीश से मिले पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष, कहा- केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के असली सूत्रधार हैं नीतीश

PATNA: जदयू के प्रदेश सचिव और पार्टी के पूर्व युवा अध्यक्ष एवं पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे दिव्यांशु भारद्वाज ने शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले। उन्होंने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की भूमि उपलब्धता एवं पूर्ण सहयोग के लिए सीएम बधाई दी। उन्होंने कहा है कि मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के असली सूत्रधार मुख्यमंत्री एवं बिहार के विकास के प्रणेता नीतीश कुमार है। उनके विकासशील सोच का नतीजा ही था की केंद्र सरकार से बिहार में विश्वविद्यालय स्थापना के मिले प्रस्ताव को उन्होंने मोतिहारी में स्थापित करने का संकल्प लेकर इससे मूर्त रूप देने में अपनी आम भूमिका निभाई। 

20 नवंबर 2008 को मोतिहारी इंजीनियरिंग कॉलेज के उद्घाटन के अवसर पर पत्रकारों के द्वारा मोतिहारी में विश्वविद्यालय स्थापना की मांग किए जाने पर उन्होंने कहा था कि अगर यहां 1000 एकड़ जमीन मिल जाए तो वह मोतिहारी में ही विश्वविद्यालय की स्थापना करेंगे‌। जिले के पत्रकारों एवं प्रमुख लोगों ने एक सप्ताह के भीतर तीन प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा। जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया।  तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल एवं बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति जनक पांडे नहीं चाहते थे कि मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हो। उन्होंने इसमें अड़ंगा लगाने का भरपूर प्रयास किया। कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार एक तरह से मानव संसाधन विकास मंत्री सिब्बल और कुलपति जनक पांडेय के साथ मिलकर अड़ंगा लगाने का पूरा प्रयास किया। प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर देने का कुचक्र रचा गया, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समावेशी शिक्षा कार्यक्रम के तहत चंपारण जैसे पिछड़े क्षेत्र का विकास चाहते थे‌ यही कारण था कि मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से साफ कर दिया कि अगर वह विश्वविद्यालय खोलना चाहती है तो मोतिहारी में खोलें, अन्यथा अपना प्रस्ताव वापस लें ले।

मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर मुख्यमंत्री के सकारात्मक रूप को देखते हुए यहां के पत्रकारों एवं प्रबुद्ध लोगों ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय संघर्ष मोर्चा बनाकर लगातार आंदोलन किया और यह आंदोलन दिल्ली के जंतर मंतर तक हुआ। उस समय बिहार के अधिकांश सांसदों ने इसमें साथ दिया और सरकार को संसद में यह घोषणा करनी पड़ी थी मोतिहारी में विश्वविद्यालय की स्थापना होगी। लेकिन सरकार ने एक बार फिर कुचक्र रचते हुए विश्वविद्यालय को दो भागों में उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार में आधा-आधा बांटने का प्रयास किया। लेकिन राज्य सरकार के कड़े रुख को देखते हुए बाद में मोतिहारी में स्वतंत्र रूप से केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसके लिए मुख्यमंत्री ने मोतिहारी में नए विश्वविद्यालय के स्वरूप के अनुरूप 300 एकड़ जमीन राज्य सरकार के पैसे से उपलब्ध कराने का संकल्प लेते हुए राशि आवंटित की और विश्वविद्यालय के लिए आधा से ज्यादा जमीन अधिग्रहण कर विश्वविद्यालय को सौंप भी दिया।

वहीं शेष जमीन के लिए मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति के समक्ष पिछले गुरुवार को घोषणा किया कि तीन दिन के भीतर अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करके विश्वविद्यालय को जमीन हस्तगत कर दी जाएगी। दिव्यांशु ने कहा कि मुख्यमंत्री शिक्षा के प्रति काफी संवेदनशील एवं अग्रसोची हैं। चंपारण जैसे पिछड़े क्षेत्र को देश के मुख्य धारा में लाने के लिए एवं यहां के शैक्षणिक विकास को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए पहल की जो अतुलनीय है। आज कुछ लोग श्रेय लेने की होड़ में सीएम के किए गए कार्यों को नजर अंदाज करने का प्रयास करते हैं, लेकिन चंपारण की जनता यह जानती है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना में सीएम एवं समाज के प्रबुद्ध लोगों और पत्रकारों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

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