Desk. पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया हैं। इसके तहत चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब को ट्रांसफर करने की मांग की गयी है। इस दौरान कांग्रेस, अकाली दल और बसपा ने इसका समर्थन किया। वहीं भाजपा ने इसका विरोध करते हुए मान सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए।
प्रस्ताव पास होने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब को बचाने के लिए वह संसद के अंदर-बाहर और सड़कों पर लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। इस बारे में वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से समय लेंगे। इसके बाद उनसे मुलाकात करेंगे। यह विवाद चंडीगढ़ में कर्मचारियों पर केंद्रीय नियम लागू किए जाने के बाद शुरू हुआ।
केंद्र सरकार का नोटिफिकेशन
केंद्र सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है, इसके तहत चंडीगढ़ के 22000 सरकारी कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारी हो गए हैं। नए नियमों के तहत ग्रुप ए, बी और सी ग्रेड के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 58 से बढ़कर 60 हो गई है। वहीं फोर्थ ग्रेड में रिटायरमेंट की उम्र 60 से 62 वर्ष हो गई है।
चंडीगढ़ ऐसी बनी राजधानी
1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो पंजाब का काफी हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से गया। तब पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी। बंटवारे में लाहौर पाकिस्तान के हिस्से चला गया। अब पंजाब को नई राजधानी चाहिए थी। तमाम मंथन के बाद 1952 में चंडीगढ़ शहर बनाया गया और इसे पंजाब की राजधानी घोषित किया गया।