पटना। आगामी 15 मार्च को यूजीसी की एक टीम पटना विश्वविद्यालय के दो दिवसीय दौरे पर पहुंच रही है। जिसको लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि आगामी 15 और 16 मार्च को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की टीम पटना पहुंचने वाली है जहां वह 11वीं और 12वीं पंचवर्षीय योजना में कॉलेजों को जितनी राशि दी गई है इसका हिसाब लेगी। जिस कॉलेज में यूजीसी की राशि नहीं लौटाई है उसे ब्याज सहित राशि लौटाने होगी यदि राशि खर्च की गई है तो एक एक रुपए का यूटिलाइजेशन रिपोर्ट देना होगा।
यूजीसी के पैसों पर कमाते थे सूद
टीम का यह दौरा हाई कोर्ट के निर्देश के बाद किया जा रहा है। बताया गया है कि कई कॉलेज यूजीसी का पैसा लेकर उस पर सूद कमाते थे। इसके बाद कुछ काम करके यूटिलाइजेशन रिपोर्ट भेजते थे। इन कॉलेजों ने लगातार यूजीसी रिपोर्ट मांग की जा रही थी पर वह ध्यान नहीं दे रहे थे। जिसके बाद अब यूजीसी ने भी सख्त कदम उठाते हुए वसूली शुरू करने का मन बना लिया है। वह भी अब कॉलेजों से सूद के साथ पैसा वसूल करने की तैयारी में है। जिसके कारण विवि और उसके अंगीभूत कॉलेजों की परेशानी बढ़ी हुई है। सूची में कॉलेजों के अलावालगभग 1 दर्जन से अधिक शिक्षक भी शामिल है, जिन्होंने बड़े और छोटे प्रोजेक्ट के लिए यूजीसी से राशि ली थी। इसकी भी यूटिलाइजेशन रिपोर्ट नहीं दी गई है इन शिक्षकों से भी हिसाब लिया जाएगा। हिसाब नहीं देने पर इन शिक्षकों को ब्लैक लिस्टेड भी किया जा सकता है।
सिर्फ पटना विश्वविद्यालय के 9 कॉलेजों को रिपोर्ट देनी है। इसकी वजह से पूरा विश्वविद्यालय परेशान है। इन कॉलेजों में कोई दस्तावेज सही तरीके से नहीं है। सबसे अधिक परेशानी बीएन कॉलेज के ऊपर है जिसके ऊपर ₹10लाख की राशि बाकी है, मगध महिला कॉलेज पर करीब ₹5लाख, विमेंस ट्रेनिंग कॉलेज के नाम पर रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है, हालांकि पटना में इस कॉलेज में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं साइंस कॉलेज, पटना कॉलेज, लॉ कॉलेज ने भी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। सिर्फ कॉमर्स कॉलेज में ₹14 लाख की राशि लौटा दी है।
सवाल यह है कि इन विवि और कॉलेज प्रबंधन द्वारा यूजीसी से बेहतर व्यवस्था के लिए दी जानेवाली राशि का प्रयोग क्यों नहीं किया गया। क्योंकि इन कॉलेजों की यह शिकायत रहती है कि उनके पास फंड नहीं है