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बिहार में अप्रैल में लॉकडाउन लगाते तो बच सकती थी सैकड़ों लोगों की जानें, क्या सच में सीएम नीतीश ने निर्णय लेने में कर दी देरी, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

बिहार में अप्रैल में लॉकडाउन लगाते तो बच सकती थी सैकड़ों लोगों की जानें, क्या सच में सीएम नीतीश ने निर्णय लेने में कर दी देरी, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

PATNA : बिहार में लॉकडाउन लगाने में क्या नीतीश सरकार ने देर कर दी। यह सवाल फिर से उठने लगा है। लॉकडाउन लगने के सिर्फ कुछ दिनो में जिस तरह से बिहार में संक्रमण के आंकड़े में कमी आई है और यह 15 फीसदी से घटक 8.9 पर पहुंच गई है, वह इस सवाल को जन्म दे रही है कि बिहार के सीएम और अधिकारियों ने लॉकडाउन को लेकर सही फैसला नहीं लिया। अगर अप्रैल में ही लॉकडाउन लगाया गया होता तो संभवतः बिहार की स्थिति इतनी खराब नहीं होती जैसा की आज है।

अधिकारियों ने दिया गलत परामर्श

एक्सपर्ट भी मानते हैं कि लॉकडाउन का फैसला कुछ समय और पहले लिया गया होता तो बिहार में बड़ी राहत होती। यहां तक कि राज्यपाल की मीटिंग में भी कुछ नेताओं ने नाइट कर्फ्यू की जगह तीन दिन का साप्ताहिक लॉकडाउन या पूर्ण लॉकडाउन लगाने की मांग की थी। लेकिन इसे नीतीश सरकार के अधिकारियों की अदूरदर्शिता कहें या कुछ और, उन्होंने पूर्ण लॉकडाउन की जगर नाइट कर्फ्यू लगाने की सलाह दी। लगभग दस दिन तक नाइट कर्फ्यू लगाए जाने के बाद भी बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कोई कमी नहीं आई. वहीं हर दिन औसतन 100 के करीब लोग अपनी जान गंवाते रहे।

हाईकोर्ट ने भी की थी मांग


बिहार में लॉकडाउन लगाने में हो रही देरी को लेकर हाईकोर्ट ने भी नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने कई बार राज्य सरकार से पूछा था वह लॉकडाउन को लेकर क्या सोच रही है, लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान देने की जगह बयानबाजी तक खुद को सीमित रखा। हर दिन कोर्ट में कोरोना को लेकर उठाए गए कदम को लेकर सुनवाई हुई। यहां तक कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के लिए यह तक कह दिया था कि आपसे नहीं हो पा रहा है सेना को जिम्मेदारी सौंप दी। यह हाईकोर्ट की सख्ती का ही परिणाम था कि राज्य सरकार को लॉकडाउन का फैसला लेना पड़ा। 

आंकड़े बताते हैं सब कुछ

बिहार में 4 मई को लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई। इस तारीख को बिहार में कोरोना का संक्रमण दर 15.06 फीसदी था, लॉकडाउन लगने के 24 घंटे में ही इसमें कमी आनी शुरू हो गई। 5 मई को आंकड़ा घटकर 14.04, छह मई को 12.06 तक पहुंच गया। इस तरह लॉकडाउन के बाद बिहार में संक्रमण के आंकड़े लगातार कम हो रहे हैं।  लॉकडाउन कितना जरूरी था यह अब सरकार को समझ में आ गया है। मात्र 12 दिन में तेजी से बढ़ती संक्रमण की दर 15% से घटकर 8.9% पर पहुंच गई है। सरकार ने लॉकडाउन का फैसला कर कोरोना पर बड़ी चोट की है और इसका सबूत आंकड़े भी बता रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि 12 दिन में संक्रमण का ग्राफ तेजी से घटा है। जो साफ बता रहा है कि बिहार सरकार ने लॉकडाउन के फैसले को लेकर कहीं न कहीं चूक कर दी, अन्यथा इसका परिणाम और बेहतर हो सकता था।

मई में लगातार बिहार में यह रहा संक्रमण दर

  • 01 मई - 15.01%
  • 02 मई - 15.07%
  • 03 मई - 15.06%
  • 04 मई - 15.06%
  • 05 मई - 14.04%
  • 06 मई - 12.06%
  • 07 मई - 12%
  • 08 मई - 10.03%
  • 09 मई - 10.02%
  • 10 मई - 9.90%
  • 11 मई - 9.90%
  • 12 मई - 8.90%



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