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आजतक ‘लहरों’ के सहारे संसद तक पहुंचते रहे राधामोहन सिंह, इस बार कैसे लगेगा बेड़ा पार

आजतक ‘लहरों’ के सहारे संसद तक पहुंचते रहे राधामोहन सिंह, इस बार कैसे लगेगा बेड़ा पार

न्यूज4नेशन डेस्क- केंद्रीय कृषि मंत्री एक बार फिर से पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं। 1989 से लेकर 2014 तक के चुनाव में अबतक वे 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। उनकी जीत में हर बार लहरों ने साथ दिया। चाहे वह राम मंदिर आंदोलन का लहर हो या अटल-आड़वाणी का लहर, नीतीश के सुशासन मॉडल का लहर हो या फिर नरेंद्र मोदी की सुनामी हो। हर बार वे लहरों पर सवार होकर संसद तक पहुंचते रहे। 1989 से लेकर 2014 तक के चुनावी सफर को नजदीक से देखें तो यह साफ-साफ पता चलता है कि जिस चुनाव में कोई लहर नहीं चली तब-तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा ।

बीजेपी ने पहली दफा राधामोहन सिंह को 1989 में मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र जिसे आज पूर्वी चंपारण के नाम से जानते हैं, वहां से चुनावी मैदान में उतारा. पहली दफा चुनाव मैदान में उतरे राधामोहन सिंह चुनाव जीत गए। जानकार बताते हैं कि उस समय राम मंदिर आंदोलन की लहर शुरू हो गयी थी। 1989 में बीजेपी ने विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन देकर मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया था। इस लहर पर सवार राधामोहन सिंह पहली दफा संसद पहुंच गए। लेकिन 1991 के चुनाव में राधामोहन सिंह को सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर ने हरा दिया।

1996 का चुनाव जिसमें पहली दफा अटल जी की लहर उत्तर भारत में चली ।एकबार फिर से राधामोहन सिंह ने चुनाव जीतकर अपना परचम लहराया. लेकिन 1998 के चुनाव में राधामोहन सिंह आरजेडी की रमा देवी के हाथों चुनाव हार गए।

फिर से 1999 में अटल लहर में बीजेपी के टिकट पर राधामोहन जीत हासिल करने में कामयाब रहे. 2004 में हवा का रूख बदल गया और बीजेपी के पक्ष मे कोई लहर नहीं थी। लिहाजा राधामोहन सिंह बुरी तरह से हार गए और कहा जाने लगा कि अब वे उबरने वाले नहीं। 2004 के चुनाव में राजद के अखिलेश प्रसाद सिंह ने राधामोहन सिंह के घर में जाकर उन्हें हरा दिया।

लेकिन राजनीति ने एकबार फिर से करवट ली और बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बन गई। नीतीश कुमार की सुशासन की सरकार में 2009 के चुनाव में जदयू-बीजेपी के पक्ष में लहर चल पड़ी।एक बार फिर से वे नीतीश कुमार की लहर पर सवार होकर चुनाव जीत गए।

नीतीश की लहर अभी खत्म ही हुई थी कि 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के नाम की सुनामी आ गई। उस सुनामी पर सवार होकर राधामोहन सिंह ने अबतक का सारा रिकार्ड ही तोड़ दिया और एक बार फिर से करीब चार लाख वोटों से चुनाव जीत गए।

इस बार राधामोहन सिंह एक बार फिर से पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं। इस बार के चुनाव में अबतक कोई सुनामी या लहर देखने को नहीं मिल रही । बीजेपी भले ही ये दावे कर रही हो कि काम के आधार पर वोट मिलेगा। लेकिन जिस तरह से महागठबंधन ने घेराबंदी की है और उनका पिछला ट्रैक रिकार्ड देखा जाए तो यह स्पष्ट है कि कोई लहर नहीं चली तो नेताजी का संसद पहुंचना मुश्किल ही लगता है.

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