PATNA : यूपीआई के कारण आज भारत में कहीं भी पैसों का भुगतान करना और कहीं भी पैसे ट्रांसफर करना आसान हो गया है। लेकिन बैंकों में चेकों से भुगतान के लिए उसे क्लियरेंस कराने के लिए आज भी पुरानी पद्धति पर ही काम किया जा रहा है। जिसमें एक चेक क्लियरेंस मिलने में दो दिन का समय लग जाता है। बैंकों में सालों से चली आ रही इस व्यवस्था को अब भारतीय रिजर्व बैंक ने बदल दिया है। नई व्यवस्था में अब चेकों का क्लियरेंस अब दो दिन की जगह दो घंटे में ही हो जाएगा। चेक जमा करने के कुछ घंटे में पैसा खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर ने चेक क्लीयरिंग के प्रोसेस में सुधार लाने और निपटाने के जोखिम को कम करने के लिए CTS को बैच प्रोसेसिंग से क्लीयरिंग में बदलने का प्रस्ताव दिया है। इस नए बदलाव से ग्राहकों को फायदा होगा क्योंकि कम समय में पैसा अकाउंट में आ जाएगा।
क्या है चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS)?
CTS एक चेक क्लीयरिंग प्रोसेस है जिसे RBI ऑपरेट करता है। इसमें चेक को फिजिकल रूप से इधर-उधर ले जाने की बजाय उसका इलेक्ट्रॉनिक इमेज तैयार कर महत्वपूर्ण डेटा कैप्चर करने के बाद भेजा जाता है। यह प्रणाली 2008 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहली बार पेश की गई थी।
चेक के फोटो स्कैन से होगा काम आसान
आरबीआई के अनुसार, नई व्यवस्था में चेक को ‘स्कैन’ किया जाएगा, उसे प्रस्तुत किया जाएगा और कुछ घंटों में समाशोधन किया जाएगा। इससे चेक का समाशोधन कुछ घंटे में हो जाएगा जबकि अभी दो दिन तक का समय (टी प्लस 1) लगता है। दास ने कहा कि इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जल्दी ही जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, आरबीआई ने बैंकों की तरफ से अपने ग्राहकों के बारे में ‘क्रेडिट’ सूचना कंपनियों को दी जाने वाली रिपोर्ट हर पखवाड़े देने का प्रस्ताव किया है। वर्तमान में महीने में एक बार यह रिपोर्ट दी जाती है।
ग्राहकों को मिलेंगे ये फायदे
नए बदलाव से चेक अब लगातार स्कैन किए जाएंगे, पेश किए जाएंगे और कामकाजी घंटों के दौरान क्लीयर किए जाएंगे, जिससे चेक क्लीयरिंग का समय कुछ घंटों तक कम हो जाएगा। इसके साथ ही चेक के फिजिकल ट्रांजिट की जरूरत खत्म हो जाएगी, जिससे चेक खोने का डर भी नहीं रहेगा। इससे चेक की तेजी से क्लीयरिंग और खाते में जल्दी क्रेडिट मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। जबकि UPI, NEFT और RTGS जैसे डिजिटल पेमेंट के युग में चेक का महत्व धीरे-धीरे कम हो रहा है। यह अभी भी एक जरूरी पेमेंट का तरीका बना हुआ है।