PATNA : रेरा बिहार ने राज्य की चार प्रोमोटरों के विरुद्ध वारंट निर्गत करने का आदेश दिया है. यह आदेश इन बिल्डरों द्वारा बिहार भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) बिहार के आदेश का पालन नहीं करने के कारण दिया गया है. प्राधिकरण के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह एवं सदस्य एस डी झा के संयुक्त पीठ ने राजीव शर्मा बनाम पाटली ग्राम बिल्डर्स ; रेनू देवी बनाम पाटलिग्राम, संजीव कुमार बनाम लखन होम्स एवं ममता कुमारी बनाम शशिकांत जैसकौन इंटरबिल्ट वादों में दिया गया.
राजीव शर्मा ने प्रमोटर द्वारा प्रमोटर के विरुद्ध पैसे वापस करने के लिए शिकयत वाद दायर किया था. उसमे प्रद्धिकरण द्वारा शिकायतकर्ता को रुपये 20,87,176/-, ब्याज के साथ वादी को 60 दिनों में वापस करने का आदेश पारित किया था. प्रमोटर द्वारा इसके पालन नहीं करने पर शिकायकर्ता नें वाद (Execution Case) दायर किया गया था. केस की सुनवाई के दौरान प्रमोटर द्वारा कोई जबाब दाखिल नहीं किया गया. अतः प्राधिकरण ने वारंट जारी करने का आदेश दिया ताकि प्रमोटर के विरुद्ध उचित कारवाई की जा सके.
ममता कुमारी ने प्रमोटर द्वारा प्रमोटर के विरुद्ध पैसे वापस करने के लिए शिकयत वाद दायर किया था. उसमे प्रद्धिकरण द्वारा शिकायतकर्ता को रुपये 5,34,890/-, ब्याज के साथ वादी को 60 दिनों में वापस करने का आदेश पारित किया था. प्रमोटर द्वारा इसके पालन नहीं करने पर शिकायकर्ता नें वाद (Execution Case) दायर किया गया था. केस की सुनवाई के दौरान प्रमोटर द्वारा कोई जबाब दाखिल नहीं किया गया. अतः प्राधिकरण ने वारंट जारी करने का आदेश दिया ताकि प्रमोटर के विरुद्ध उचित कारवाई की जा सके.
संजीव कुमार ने प्रमोटर द्वारा प्रमोटर के विरुद्ध पैसे वापस करने के लिए शिकयत वाद दायर किया था. उसमे प्रद्धिकरण द्वारा शिकायतकर्ता को रकम ब्याज के साथ वादी को 60 दिनों में वापस करने का आदेश पारित किया था. प्रमोटर द्वारा इसके पालन नहीं करने पर शिकायकर्ता नें वाद (Execution Case) दायर किया गया था. केस की सुनवाई के दौरान प्रमोटर द्वारा कोई जबाब दाखिल नहीं किया गया. अतः प्राधिकरण ने वारंट जारी करने का आदेश दिया ताकि प्रमोटर के विरुद्ध उचित कारवाई की जा सके.
रेणु देवी ने प्रमोटर द्वारा प्रमोटर के विरुद्ध पैसे वापस करने के लिए शिकयत वाद दायर किया था. उसमे प्रद्धिकरण द्वारा शिकायतकर्ता को रुपये 16,80,000/-, ब्याज के साथ वादी को 60 दिनों में वापस करने का आदेश पारित किया था. प्रमोटर द्वारा इसके पालन नहीं करने पर शिकायकर्ता वाद (Execution Case) दायर किया गया था. केस की सुनवाई के दौरान प्रमोटर द्वारा कोई जबाब दाखिल नहीं किया गया. अतः प्राधिकरण ने वारंट जारी करने का आदेश दिया ताकि प्रमोटर के विरुद्ध उचित कारवाई की जा सके