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नीतीश-लालू की दोस्ती में दरार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार तक एनडीए में आ सकते हैं वापस!

नीतीश-लालू की दोस्ती में दरार,  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार तक एनडीए में आ सकते हैं वापस!

पटना:  बिहार की राजनीति में परिवर्तन के साफ संकेत मिल रहे हैं.  सूत्रों के अनुसार  जदयू और भाजपामिलकर फिर से बिहार की सत्ता संभाल सकते हैं. इसको लेकर 26 जनवरी को राजनीतिक दलों की बैठकों का दौर चलता रहा. जदयू ने भी विधायक दल की बैठक 28 जनवरी को सुबह 10 बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर बुलाई है. इस मीटिंग में जदयू विधायक और एमएलसी के साथ सांसदों को भी बुलाया गया है. कथित तौर पर इस बैठक में नीतीश कुमार अंतिम फैसला ले सकते हैं.तो वहीं  राजद और कांग्रेस ने शनिवार 27 जनवरी को अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है. भाजपा सोमवार तक बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार से मिलकर फिर सरकार बनाने की ओर है. सरकार में कथित तौर पर भाजपा के दो डिप्टी के साथ जदयू सुप्रीमो नीतीश के सीएम रहेंगे. 

जेडीयू के विधायक और सांसद रविवार को सीएम नीतीश आवास पर बैठक करेंगे और माना जा रहा है कि रविवार की शाम या सोमवार को भाजपा-जदयू की सरकार आकार ले सकती है. भाजपा के वरिष्ठ नेता, सांसद  और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजनीति में दरवाजे कभी भी स्थायी रूप से बंद नहीं होते हैं, नीतीश को लेकर  हमारा केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा, राज्य इकाई उनके फैसले का पालन करती है."

तो वहीं भाजपा, कांग्रेस और  राजद  शनिवार यानी आज अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है, राजद प्रवक्ता मनोज झा ने नीतीश से "व्यापक भ्रम" पर अपना रुख स्पष्ट करने का आग्रह किया है. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कभी भी भ्रम में नहीं रहते हैं और फ्रंट फुट पर राजनीति करते हैं.  अगर कोई भ्रमित है, तो यह उनकी समस्या है. हम स्पष्ट हैं."

जदयू राजद का विवाद तब और बढ़ गया जू राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की लाडली बेटी रोहिणी आचार्य द्वारा नीतीश के बार-बार पाला बदलने के स्पष्ट संदर्भ के साथ एक्स पर गुरुवार की पोस्ट के बाद तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम ने ग्रैंड अलायंस सरकार के पतन की उलटी गिनती शुरू कर दी. जदयू और भाजपा नेताओं की बयानों से चीजें स्पष्ट हो गईं जब लालू के बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने गणतंत्र दिवस पर राजभवन में राज्यपाल द्वारा आयोजित हाई टी को छोड़ दिया. जदयू मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने नीतीश के बगल वाली कुर्सी से तेजस्वी की नेमप्लेट हटा दी और उस पर कब्जा कर लिया, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिल गया कि चीजें कैसे सामने आ रही हैं. जब नीतीश से तेजस्वी के हाई टी छोड़ने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "उन्हीं से पूछिए जो नहीं आए।"

इस बीच , सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी ने गुरुवार को नीतीश से बात करने की कोशिश की, लेकिन बातचीत नहीं हो सकी. कांग्रेस ने उन्हें एकजुट करने की पहल के बावजूद विपक्षी इंडिया गुट नीतीश को अपना संयोजक बनाने में सफल नहीं हुआ जब उनके नाम पर चर्चा हुई तो नीतीश ने यह कहते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया कि ''बहुत देर हो चुकी है.''

राजनीतिक पर्दा बिहार में तेजी से बदल रहा है .ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष की विशेष भूमिका होती है.  राजद के अवध बिहारी चौधरी के विधानसभा अध्यक्ष होने के कारण सभी दलों पर पैनी नजर है. राजनीतिक समीक्षक का कहना है कि ऐसे में लालू यादव को कमतर कर आंकना भूल हो सकती है. विधानसभा के अध्यक्ष के पास इस मामले में अपार शक्ति है और अगर लालू कुछ जदयू और मांझी की पार्टी को तोड़कर एक अलग समूह बनाने में सफल हो जाते हैं, तो सरकार में बदलाव हो सकता है. 

भाजपा सहयोगियों से संपर्क कर रही है और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने गुरुवार को हम के संस्थापक जीतन राम मांझी और शुक्रवार को आरएलजेडी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की. लोकजन शक्ति पार्टी के सुप्रीमो चिराग पासवान ने दावा किया कि आखिरी फैसला भाजपा और लोजपा मिलकर लेंगी और जो भी होगा वह बिहार के हित में होगा. बता दे उपेंद्र कुशवाहा और चिराग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का खुल कर विरोध करते रहे हैं. 

कथित तौर पर जदयू  लोकसभा और बिहार विधानसभा चुनाव एक साथ चाहती थी, लेकिन भाजपा इसपर सहमत नहीं हुई . भाजपा जदयू की लोकसभा सीटों की संख्या 17 से कम करना चाहती है कारण है  भाजपा  को सीट बंटवारे में चिराग, पशुपति कुमार पारस, मांझी  और कुशवाहा को समायोजित करना होगा, लेकिन 2019 में जीती गई 17 सीटों से कम पर जदयू चुनाव नहीं लड़ेगी. बिहार में 40 लोकसभा सीटें पीएम नरेंद्र मोदी के लिए महत्वपूर्ण हैं. वहीं शुक्रवार की देर शाम नीतीश ने कुछ डीएम और एसपी समेत कई नौकरशाहों का स्थानांतरण कर दिया.

अब विधानसभा में दलीय स्थिति पर भी गैर करें तो जदयू  के बिना महागठबंधन के पास 115 विधायक हैं, जिनमें राजद के 79, कांग्रेस के 19, वाम दल के 16 और एआईएमआईएम के 1 विधायक शामिल हैं, तो वहीं  नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने पर 128 विधायक का आंकड़ा है.  


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